सिवनी जिला मुख्यालय से करीब 42 किमी दूर भेड़िया बालक मोगली की कर्मभूमि अमोदागढ़ पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अमोदागढ़ सिवनी-मंडला स्टेट हाइवे पर स्थित ग्राम पंचायत छुई से 12 किमी दूर संरक्षित जंगल से घिरा हुआ है। हरियाली, पहाड़, नदी और चट्टानों से बहते झरने का अद्भुत नजारा पयर्टकों को आकर्षित करता है। पहाड़ी क्षेत्र में सेल्फी पाइंट के साथ ही वन विभाग का एक रेस्ट भी है।
पहाड़ की ऊंचाई से नीचे नदी व झरनों तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को करीब एक किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है। आधे रास्ते पर सीढ़ी बनी हुई है, जबकि आधा रास्ता पत्थरीला होने के कारण पर्यटकों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पर्यटकों का कहना है कि सुगम रास्ता बनने के साथ अन्य सुविधाएं यहां बढ़ा दी जाएं, तो पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
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प्रसिद्ध किरदार मोगली की जन्मस्थली अमोदागढ़ जंगल को अंग्रेजी लेखक रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध द जंगल बुक के किरदार मोगली की जन्म स्थली माना जाता है। कहानी के मुताबिक अमोदागढ़ के जंगल में बाघ, भालू के बीच मोगली का वचपन बीता, इस पर हालीवुड में फिल्में भी बनाई जा चुकी है। अमोदागढ़ में संरक्षित वन के बीच से बहने वाली नदी व पहाड़ों की खूबसूरती पर्यटकों को यहां खींच लाती हैं। परिवार व दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। दिसंबर-मार्च के बीच सबसे ज्यादा संख्या में पर्यटक जंगल की खूबसूरती को देखने पहुंचते हैं। अमोदागढ़ के जंगल में वन्यप्राणियों की मौजूदगी होने के कारण शाम होने के बाद यहां किसी भी पर्यटक को रूकने की इजाजत नहीं दी जाती है। शाम होने से पहले सभी पर्यटकों को जंगल से बाहर कर दिया जाता है। कैफेटोरिया में पर्यटकों के लिए चाय-बिस्किट व पानी की व्यवस्था ही उपलब्ध है। यहां आने वाले पर्यटकों को पिकनिक के लिए भोजन व अन्य सामग्री लेकर जानी पड़ती है।
छुट्टियों में रहती है खासी भीड़
पहाड़ की ऊंचाई छुट्टी के दिनों में पर्यटक यहा बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। दिनभर झरने, बड़ी-बड़ी चट्टानों, पहाड-जंगल में मौज-मस्ती करने के बाद दोस्तों व परिवार के साथ पर्यटक वापस लौट जाते हैं। अमोदागढ़ की देखरेख स्थानीय इको विकास समिति कर रही है। अमोदागढ़ पहुंचे पर्यटक विनोद कुमार, मिलन, दीपक सेन व अन्य ने बताया कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अनूठा व अविस्मरणीय है। यहां सुविधाएं बढ़ा दी जाएं, तो पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अमोदागढ़ का जंगल पर्यटकों को लुभा रहा है। यहां की ऊंची-ऊंची पहाड़िया, गहरी खाई, कल कल बहती नदी, कई सारे छोटे झरने, पेड़-पौधे की हरियाली, गुफा हैं। इसके अलावा सोना रानी महल के अवशेष भी यहां अब भी है। पेंच व कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कारिडोर पर स्थित अमोदागढ़ में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच समय बिताने बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि इस जगह का नाम अमोदागढ़ इसलिए पड़ा है, क्योंकि यहां पहाड़ों के बीच से जो नदी बहती है, वह पहाड़ की ऊंचाई से देखने पर ओम के आकार में नजर आती है। क्षेत्रीय ग्रामीण इसे ग्रामीण बोलचाल की भाषा में अमोदागढ़ कहने लगे, जो प्रचलित हो गया और इसी नाम से पहचाना जाने लगा। जंगल और पहाड़ों के बीच दूर-दूर तक शाम होने के बाद जहां कोई नहीं आता-जाता, वहां गुफा में एक बाबा रहते हैं, जो इस जगह को लेकर कई और रोचक बातों का जिक्र करते हैं।