पूजा करते लगी आग
रामफली बाई दुबे अक्षय तृतीया को घर के प्रथम तल पर पूजन कर रही थी। बाकी सदस्य नीचे थे। दीपक की लौ से वृद्धा की साड़ी में आग लग गई। स्थिेटिक कपड़े में आग तेजी से फैली और स्वयं बुझाने लगी। वहीं वृद्धावस्था के चलते जोर से चिल्ला भी नहीं पाई। जब उनकी पुत्री द्रोपदीबाई दुबे नीचे से ऊपर पहुंची तब तक रामफली बाई काफी झुलस गई थीं। परिजन उपचारार्थ जिला अस्पताल भर्ती किए जहां जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष के चार दिन बाद दम तोड़ दी।
फाइल में लिखकर शव ले जाएं
सोमवार की रात लगभग 11.30 बजे वृद्धा की मौत के बाद परिजनों में आशीष पाठक, रितेश्वर तिवारी, हेमंत मिश्रा ने बताया कि ड्यूटीरत डॉक्टर से शव ले जाने की अनुमति मांगी तो उन्होंने कहा रजिस्टर में लिखकर ले जा सकते हैं। जिस पर रात में ही रजिस्टर में किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते हैं और आपसी सहमति व स्वेच्छा से शव को ले जा रहे हैं ऐसा लिखकर रात लगभग एक बजे शव को ले गए। वहीं परिजनों का कहना है कि जब पीएम करना अनिवार्य ही था तो रात में शव को नहीं देना और दिए भी थे तो सुबह नौ बजेे पीएम के लिए शव को पुन: ले जाना था। मोक्षधाम से शव को ले जाने से शोकाकुल परिजनों काफी दु:खी हैं।
मोक्षधाम में रहा तनाव
वृद्धा की मौत के बाद जब पुलिस बल मोक्षधाम पहुंचा और अंतिम संस्कार करने से रोका तो काफी देर तक वहां तनाव की स्थिति बनी रही। लोगों का कहना था कि अस्पताल में पुलिस चौकी है और कोतवाली में भी जब रात में ही सूचना मिल गई थी तो पुलिस सुबह क्यों नहीं जागी? मोक्षधाम में पुलिस के हस्तक्षेप से शोकाकुल परिजनों में खासा आक्रोश व तनाव की स्थिति बनी रही।
इनका कहना है
आग से झुलसी वृद्धा की मौत पर डॉ. कृष्णा सरोठिया ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी थी। परिजनों ने पीएम नहीं कराने की बात कहते हुए अस्पताल से शव को घर ले गए। लेकिन ऐसे मामले में पीएम होता है, पीएम के बाद शव पुन: परिजनों को सौंप दिया गया।
डॉ. आरके श्रीवास्तव, सिविल सर्जन
जिला अस्पताल, सिवनी।