scriptप्रभारियों के हाथ में विभाग प्रमुख की कमान, कुर्सी पर बैठे हैं कुंडली मारकर | Patrika News
सिवनी

प्रभारियों के हाथ में विभाग प्रमुख की कमान, कुर्सी पर बैठे हैं कुंडली मारकर

– किसान कल्याण व कृषि, आयुष, पिछड़ा वर्ग कल्याण, श्रम सहित दर्जनभर विभागों का मामला
– कहीं प्रभार देने में नियमों को ताक पर तो नहीं रख रहे जिम्मेदार
– प्रभारियों के होने से बढ़ी है गड़बडिय़ां

सिवनीJun 10, 2024 / 05:10 pm

akhilesh thakur

पत्रिका

पत्रिका

अखिलेश ठाकुर सिवनी. जिले के दर्जनभर विभाग प्रमुख की कुर्सी पर प्रभारी अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हैं। इनमें कई ऐसे है, जो करीब एक दशक से अधिक समय से जिले में बने हैं। वे पहले अपने मूल पद पर कार्य किए, इसके बाद जब विभाग प्रमुख सेवानिवृत्त हुए या जिले से तबादला हुआ तो उनकी जगह जुगाड़ लगाकर आसीन हो गए। इसके बाद से अब तक वे बतौर प्रभारी विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभालते हुए जिला चला रहे हैं। इनमें से कई ऐसे है, जिनके खिलाफ गबन करने सहित अन्य मामले की शिकायत हुई। लेकिन इसके बाद भी उनकी कुर्सी कोई हिला नहीं पाया। अलग-अलग कर्मचारी संगठन या विशेषज्ञों की माने तो कई तो नियम को ताक पर रखकर प्रभारी बने हुए हैं।

किसान कल्याण व कृषि विभाग के प्रभारी उप संचालक मोरिसनाथ पहले जिले के लखनादौन में एसडीओ रहे। जब उप संचालक का पद खाली हुआ तो वे जिला मुख्यालय पर बतौर प्रभारी पदभार ग्रहण किए तब से अब तक बने हुए है। इनके कार्यकाल में किसानों के खाते में पैसे भेजने के मामले में गड़बड़ी सामने आई। इस मामले में एक लिपिक के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई थी। उक्त विभाग का एक अधिकारी लोकायुक्त के हत्थे भी चढ़ चुका है। मक्का का नकली बीज, नकली खाद का प्रकरण भी सुर्खियों में रहा है।

आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त एमएस मरावी को बनाया गया है। ये लंबे समय से जिले में जिला योजना अधिकारी के पद पर तैनात है। उक्त विभाग में बतौर प्रभारी सहायक संचालक के पद पर पांच वर्षों से प्राचार्य एसके सिंह बने हुए हैं। जनपद पंचायत के अधिकांश सीइओ प्रभारी है। इस विभाग में आए दिन भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है। अभी हालही में एक वार्डेन को अनाज के मामले में निलंबित किया गया है।
प्रभारी जिला आयुष अधिकारी डॉ. यशवंत माथुर उक्त पद पर मई 2016 से आसीन है। इसके पूर्व वे आठ वर्ष जिले में आयुर्वेद चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात रहे। इनके कार्यकाल में नए जिला आयुष कार्यालय परिसर में मंदिर बनाने के लिए चंदा वसूलने के मामला सुर्खियों में रहा। इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में लंबे समय तक चली। इसमें गड़बड़ी किए जाने के आरोप लगे थे।
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में बीते कुछ वर्ष पूर्व एक सहायक संचालक लोकायुक्त के हत्थे चढ़ गए। इसके बाद से इस पद पर अब तक किसी की तैनाती नहीं हुई। इस कार्यालय में तैनात एक अधीनस्थ कार्य देख रहे हैं। श्रम विभाग भी अधीनस्थों के भरोसे है।
खास है कि इस संबंध में बीते दिनों ‘पत्रिका’ से बातचीत में कलेक्टर क्षितिज सिंघल ने बताया कि इसकी जानकारी शासन को भेजी जाती है। शासन स्तर नियुक्ति होने पर उसे संबंधित पद पर प्रभारी की जगह तैनात किया जाता है।
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता सहित 12 कार्यपालन यंत्री प्रभारी-


जल संसाधान विभाग सिवनी संभाग की सबसे खराब स्थिति है। इसमें मुख्य अभियंता प्रभारी है। उनके अलावा तिलवाड़ा बाई तट नहर संभाग केवलारी, जल संसाधन संभाग क्रमांक एक सिवनी, पेंच सिंगना संभाग चौरई, जल संसाधन संभाग छिंदवाड़ा। पेंच नहर संभाग चौरई, जल संसाधन संभाग मंडला, जल संसाधन संभाग डिंडोरी, जल संसाधन संभाग कटनी। हिरन जल संसाधन सभाग जबलपुर, वेनगंगा संभाग बालाघाट, बंजर नदी परियोजना संभाग बैहर, राजीव सागर परियोजना संभाग कटंगी कुल 12 कार्यपालन यंत्री प्रभारी है। इस संभाग के इकलौते कार्यपालन यंत्री को सर्वे डिवीजन बालाघाट की जिम्मेदारी दी गई है। इनके अलावा दूसरे कार्यपालन यंत्री के पास मुख्य अभियंता का प्रभार है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां क्या चल रहा है। उक्त विभाग में बिना काम कराए कांचना मंडी जलाशय से करीब डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान एक प्रभारी कार्यपालन यंत्री व सहायक यंत्री ने मिलकर कर लिया। शासन स्तर से कराए गए जांच में मामला सही पाया गया, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। एक प्रभारी कार्यपालन यंत्री पर मद परिवर्तन कर 20 लाख रुपए गबन करने का आरोप है। इसकी जांच जारी है।
क्षेत्र संयोजक के रहते प्रभारी की है तैनाती-


आदिम जाति कल्याण विभाग ने तो प्रभारियों के मौज की सारी हादे पार कर दी है। यहां चार वर्ष के अंदर क्षेत्र संयोजक की नियुक्ति हुई पर प्रभारी ही जिम्मेदारी संभाल रहा है। तीन साल तक जिले में निशा जैन बतौर क्षेत्र संयोजक रही पर उनकी जगह प्रभारी वीरेंद्र बोरकर तैनात रहे। उनके जाने के बाद छह माह से जिले में पूजा उइके बतौर क्षेत्र संयोजक के पद पर नियुक्ति हुई पर अब भी उनको उक्त पद की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। कर्मचारी नेताओं की माने तो जिले में गजब की अंधेरगर्दी है।
वर्जन – एक
प्रभारी अधिकारी होने के कारण कर्मचारियों की समस्या का निराकरण नहीं हो पाता। कर्मचारियों का शोषण होता है। प्रभारी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं देते। प्रभार देने का सिस्टम खत्म करना चाहिए।
  • अभिषेक त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष अधिकारी/कर्मचारी संयुक्त मोर्चा
वर्जन – दो
प्रभारी अधिकारी होने के कारण कार्यालय में अनुशासन नहीं रहता है। कुछ चिन्हित कर्मचारी व अधिकारी की तूंती बोलती है। इससे दूसरे काम करने वाले कर्मचारी हताशा के शिकार होते हैं।
  • नरेंद्र मिश्रा, जिलाध्यक्ष शिक्षक कांग्रेस
वर्जन – तीन
प्रभारी अधिकारी के कार्यकाल में सबसे अधिक गड़बडिय़ां होती है। सुविधा शुल्क देकर कुछ लोग घर बैठकर वेतन लेते हैं तो कई संबंध बनाकर मौज काटते। प्रभार देना बंद होना चाहिए।
  • राजेंद्र सिंह बघेल, संभागीय अध्यक्ष मप्र कर्मचारी संगठन
वर्जन – चार
प्रभारियों के कार्यकाल में जिले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। ऐसे कई उदाहरण है। बिना काम कराए लाखों रुपए के गबन प्रभारी अधिकारियों ने किए हैं। वे प्रभार पर रहते हुए खूब भ्रष्टाचार करते हैं।
  • श्रवण डहरवाल, जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संघ
वर्जन – पांच
जल संसाधन विभाग में एक कार्यपालन यंत्री को नियम विरुद्ध मुख्य अभियंता पद का प्रभार मध्यप्रदेश शासन ने दिया है। उक्त पद पर तैनात प्रभारी मुख्य अभियंता जहां-जहां रहे विवादित रहे। अभी भी इनकी ओर से की जाने वाली संपूर्ण कार्रवाई विवादित होती है। जोन के अंतर्गत आने वाले 13 संभागों के अधिकारी-कर्मचारी इनसे परेशान है। यदि जल्द ही इनको नहीं हटाया गया तो संपूर्ण मध्यप्रदेश के अंदर आंदोलन होगा, जिसकी शुरुआत जबलपुर से संभागीय कार्यालय से होगी।
  • पं. योगेंद्र दुबे, मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
पत्रिका एक्सपर्ट – अधिवक्ता दुर्गेश विश्वकर्मा


सामान्य प्रशासन विभाग से स्थानांतरण नीति वर्ष 2021-22 के आदेश की कंडिका 17 के तहत अधिकारियों या कर्मचारियों के पदस्थापना के तीन वर्ष पूर्ण होने पर स्थानांतरण किया जा सकेगा। कंडिका 29 के तहत स्थानांतरण एवं पदोनन्नती पर गृह जिला नहीं दिया जाएगा। कंडिका 37 के तहत जो अधिकारी पूर्व में पदस्थ रह चुके हैं। उसे उसी जिले में उसी पद पर पुन: पदस्थापना नहीं की जाएगी। कंडिका 52 के तहत सभी प्रकार के संलग्नीकरण समाप्त किया गया है। उक्त आदेश का पत्र क्रमांक-एफ ६ – 1/2021/एक/9 है। उक्त आदेश का अधिकारी व कर्मचारियों को पालन करने का निर्देश अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किया गया है। खास है कि यदि किसी अधिकारी को प्रभार दिया जाता है तो वह उसके समकक्ष पद के अधिकारी को ही दिया जाएगा। उससे नीचे के पद के अधिकारी को प्रभार नहीं दिया जाएगा।

Hindi News/ Seoni / प्रभारियों के हाथ में विभाग प्रमुख की कमान, कुर्सी पर बैठे हैं कुंडली मारकर

ट्रेंडिंग वीडियो