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सिवनी

पानी की शुद्धता पर उठ रहे सवाल, सीएमओ बोले कराएंगे जांच

३० रुपए का २० लीटर पानी के बारे में बोलने से बच रहे जिम्मेदार

सिवनीMay 01, 2018 / 11:58 am

akhilesh thakur

water problem
सिवनी. गर्मी दिनोदिन उग्र रूप अख्तियार कर रही है। लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इस बीच पानी की मांग भी बढ़ी है। गला तर करने के लिए लोग शीतल पेयजल की तलाश कर रहे हैं। शहर में दर्जनों पानी बेचने वाले २० लीटर पानी ३० रुपए में बेच रहे हैं। लेकिन उनका पानी कितना शुद्ध यह बताने वाला कोई नहीं है। खाद्य औषधि विभाग, राजस्व व पीएचई के जिम्मेदार अधिकारी भी बोलने से बच रहे हैं।
इस संबंध में नगर पालिका के प्रभारी सीएमओ आरके नामदेव ने बताया कि शहर में पानी बेचने वालों की जांच कराई जाएगी। उनका सेम्पल लेने के बाद उसे परीक्षण कि लिए पीएचई को भेजा जाएगा। इसके अलावा सभी पानी बेचने वालों के प्लांट पर जांच किया जाएगा कि वे पानी प्रतिदिन जांच करते हैं या नहीं? उसकी डायरी मेंटनेंट है या नहीं। यदि उनके लैब या पानी जांच करने की व्यवस्था और नियमित डायरी मेंटनेेंट नहीं मिलेगी तो उनके खिलाफ कार्र्रवाई की जाएगी। बताया कि नगर पालिका यह सुनिश्चत करेगी कि शहरवासी को जो पानी पिलाया जा रहा है, वह कितना सही है।
अब नहीं दिखती यात्री बसों में छागल
एक समय था जब गर्र्मी के दिनों में राह चलते लोगों को शीतल पेयजल उपलब्ध कराने के लिये दानदाताओं, सेठ साहूकारों के द्वारा सार्वजनिक स्तर पर प्याऊ की व्यवस्थाएं की जातीं थीं। धनाढ्य लोगों के द्वारा राहों में कुंए भी खुदवाए जाते थे।
आज प्रौढ़ हो रही पीढ़ी के जेहन में वे यादें ताजा होंगी, जिसमें यात्रा के समय सुराही या छागल ले जाने का चलन था। कमोबेश हर यात्री बस या ट्रक में छागल लटकी दिख जाती थी। बस स्टैण्ड अथवा रेलवे स्टेशन के आसपास समितियों के द्वारा यात्रियों को नि:शुल्क ठण्डा पानी पिलाया जाता था। समय बदलता गया और सार्वजनिक प्याऊ इतिहास की वस्तुओं में शामिल होने के कगार पर पहुंच गर्ई है। बोतल बंद पानी का चलन आरंभ होने से सुराही और छागल का अस्तित्व भी समाप्ति के कगार पर है। आज की युवा पीढ़ी को सुराही के बारे में तो शायद पता हो पर छागल के बारे में वे शायद ही जानते हों। आज बाजार में भी छागल कहीं बिकती नहीं दिखती। दुकानों अथवा कार्यालयों में भी लोगों के द्वारा बोतल बंद या कंटेनर्स में पानी बुलाया जाता है। शुद्ध आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) पानी के नाम पर बिना फिल्टर किए पानी का चलन चल पड़ा है। सिवनी में आरओ पानी जगह-जगह बिक रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन अथवा नगर पालिका के द्वारा कभी इस बात की तस्दीक करने की जरूरत नहीं समझी गई कि जो पानी बाजार में बिक रहा है वह वाकई आरओ तकनीक के द्वारा शोधित है अथवा नहीं।

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