आरक्षित सीटों पर सुरक्षित भविष्य तलाश रहे माफिया और अपराधी
कोई खनन, शराब और भू माफिया तो किसी पर बड़े स्कैंडल का आरोप
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शहडोल (शुभम बघेल) विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चुनाव में दावेदारी की दौड़ में खनन, कोयला, शराब, लकड़ी और भू माफिया भी हैं। शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडौरी की सीटों पर माफिया और अपराधी अपना सुरक्षित भविष्य तलाश रहे हैं। कोई खुद टिकट की दावेदारी की दौड़ में हैं तो कहीं माफिया दूसरे संभावित प्रत्याशियों को आगे बढ़ा रहे हैं।
खुद को जनता के बीच लाने के लिए माफिया और अपराधियों ने गुणा – भाग शुरू कर दिया है। कई ऐसे माफिया और अपराधी भी हैं, जो खुद को सफेदपोश बताते हुए जनता के बीच पहुंच रहे हैं और गांव-गांव, घर- घर जाकर संपर्क शुरू कर दिया है।
इसमें कोई खनन माफिया हैं तो कोई कोयला और भू माफिया है। टिकट की दावेदारी में शराब माफिया भी दौड़ में हैं। लोगों का मानना है कि यदि इन सीटों पर पार्टियां इन माफिया, अपराधी या इनसे जुड़े लोगों को उम्मीदवार तय करती हैं तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
अनारक्षित सीट पर सबसे ज्यादा जोर
शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडौरी में नजर डाली जाए तो सबसे ज्यादा जोर अनारक्षित सीट पर है। शहडोल संभाग की बात करें तो सिर्फ अनूपपुर की कोतमा विधान सभा अनारक्षित है। इस सीट पर दोनों बड़ी पार्टियों के दिग्गज नेता दावेदारी कर रहे हैं। यहां कई अपराधी और माफिया भी टिकट के लिए अपनी ताल ठोंक रहे हैं। उधर डिंडौरी की आरक्षित सीटों पर भी कई माफिया चुनाव के पहले से ही सक्रिय हो गए हैं और जनसंपर्क शुरू कर दिया है। इसमें कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं तो किसी पर मामला दर्ज है।
कवच तैयार करने हाथ पैर मार रहे माफिया
खुद का कवच तैयार करने के लिए माफिया और अपराधी हाथ पैर मार रहे हैं। आरक्षित सीटों पर माफिया और अपराधी लगभग तय उम्मीदवारों को हवा दे रहे हैं। संभावित उम्मीदवारों के खर्चो से लेकर जनसंपर्क और तमाम चीजों की व्यवस्थाएं माफिया ही करा रहे हैं। संभाग की जयसिंहनगर, जैतपुर, उमरिया की बांधवगढ़ और अनूपपुर की कोतमा में बड़े माफियाओं का ज्यादा फोकस है।
शहडोल: अपने को टिकट के लिए जोर
जयसिंहनगर सीट पर कुछ भू माफिया काम न बनने पर टिकट कटवाने की पूरी जुगत लगा रहे हैं। जयसिंहनगर में प्रमुख पार्टी के दो भू माफिया लगभग तय प्रत्याशी की टिकट कटवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। उनकी मंशा है कि उनकी बात मानने वाले को टिकट मिले। पार्टी ने इन भू माफियाओं को किनारे रखा है। ब्यौहारी में भी मुफीद उम्मीदवार के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। जैतपुर और जयसिंहनगर में दावेदारी के लिए उम्मीदवार को प्रमुख पार्टी से उतारने की तैयारी में एक कोल माफिया भी धन बल झोंक रहा है।
अनूपपुर: दौड़ में माफिया और अपराधी
अनूपपुर में कई माफिया और अपराधी खुद भी विधायक की दौड़ में हैं। कोई शराब, भू और खनन माफिया है तो किसी पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। तीनों विधानसभा में ऐसे लोग टिकट की दौड़ में हैं, जिन पर कई मामले दर्ज हैं। ऐसे भी उम्मीदवार हैं, जिन पर प्रदेश स्तर के स्कैंडल के आरोप हैं।
उमरिया: बांधवगढ़ की दौड़ में माफिया
उमरिया की बांधवगढ़ और मानपुर दोनों विस आरक्षित हैं। हालांकि बांधवगढ़ विधानसभा में दावेदारी की दौड़ में एक माफिया भी हैं। कोल माफिया बांधगगढ़ सीट से दावेदारी कर रहे हैं। उधर इन सीटों से अलग- अलग पार्टियों से दावेदारी करने वाले उम्मीदवारों को भी माफियाओं ने अभी से जोड़ लिया है। दोनों आरक्षित सीटों पर पूरा फोकस माफियाओं ने कर लिया है। दरअसल रेत और कोल माफिया दोनों सीटों पर सक्रिय हैं। कोल एरिया होने के वजह से में खुद की पैठ बनाने के लिए माफिया हाथ पैर मार हैं।
डिंडौरी: दावेदारों को जोर, खुद पर आरोप
डिंडौरी की दोनों विस शहपुरा और डिंडौरी आरक्षित हैं। इन सीटों पर दावेदारों को माफिया जोर दे रहे हैं। कुछ ऐसे दिग्गज नेता भी टिकट की दौड़ में हैं, जिन पर बड़े स्कैंडल के आरोप लगे थे। किसी पर खुद पर आरोप हैं तो कोई दूसरे उम्मीदवार को आगे लाने के लिए हाइकमान तक बात कर रहा है।
पत्रिका व्यू: जनता नकारे खराब छवि वालों को
अ धिकांश विधानसभाओं की स्थिति यह है कि कहीं माफिया और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोग खुद टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैं। कहीं पर माफिया पार्टियों के संभावित दावेदारों की मदद कर रहे हैं। कोई अपराधों का पर्याय बन चुका है तो कोई लंबे समय से अवैध गतिविधियों में लिप्त है। इस बार जनता को चाहिए कि स्वच्छ और साफ छवि वाले प्रत्याशी को ही अपना प्रतिनिधि चुने। जनता को खराब छवि वालों और आपराधिक गठजोड़ वालों को सिरे से नकार देना चाहिए।
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