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शाजापुर

हिंदी नहीं बोल पाना पश्चिम बंगाल की बेटी को पड़ गया भारी

शाजापुर में फंसी अर्चना को वन स्टॉप सेंटर ने मिलवाया पिता से

शाजापुरJan 21, 2019 / 11:13 pm

Gopal Bajpai

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हिंदी नहीं बोल पाना पश्चिम बंगाल की बेटी को पड़ गया भारी

शाजापुर.

पश्चिम बंगाल की रहने वाली एक महिला अपने परिवार से बिछड़ कर लालघाटी थाना क्षेत्र के गांव में पहुंच गई थी। जिसे पुलिस ने वन स्टॉप सेंटर को सौंप दिया था। वन स्टॉप सेंटर ने महिला की भाषा को जानकर उसके परिजनों की जानकारी जुटाई। इसके बाद महिला के परिजनों को बुलवाकर महिला को उन्हें सौंप दिया।

लालघाटी थाने से गत दिनों वन स्टॉप सेंटर में एक महिला को रखने का आग्रह किया गया था, जो की हिंदी भाषा नहीं जानती थी वो पास के गांव में मिली थी। कुछ दिनों तक परिवार के सदस्य नहीं मिल पाने के बाद जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी नीलम चौहान व अध्यक्ष स्थानीय परिवाद समिति मनीषा सिसोदिया ने 17 जनवरी को महिला अर्चना की बात बंगाली भाषा जानने वाले साबिर हुसैन से करवाई। इसके आधार पर अर्चना के गांव व जिले का पता चला। साथ ही वो यहां कैसे पहुंची इसके बारें में जानकारी ली। इसके बाद सिसोदिया ने माध्यम से मुर्शिदाबाद के फोन नंबर का पता लगाने के प्रयास किया। साथ ही जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी चौहान ने कलेक्टर श्रीकांत बनोठ के मार्गदर्शन में एनआइसी के माध्यम से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के पुलिस विभाग से संपर्क किया। इसके बाद मयूरी घोष महिला पुलिस बेरहामोर ने अर्चना से महिला सशक्तिकरण अधिकारी के सामने वॉट्सएप पर वीडियो कॉल के माध्यम से लगातार 10 मिनट तक बात की। इसके बाद अर्चना के परिवार को खोजा। इसीके आधार पर रविवार को अर्चना का परिवार वन स्टॉप सेंटर शाजापुर पहुंचा। अर्चना व उसके पिता की भाषा को अनुवाद करवाने की लिए जिले में कार्यरत नाजीर समरथ से बात करवाई गई। अर्चना के पिता ने पहचान संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत किए। इसके आधार पर अर्चना को उसके पिता से मिलवाया गया। खुशी से पिता-पुत्री के आंसू निकल आए। संपूर्ण कार्रवाई कर अर्चना को पिता की सुपुर्दगी में सौंप दिया गया। इस दौरान महिला आरक्षक अंजू यादव, भीष्म गुप्ता, राघवेंद्र मीना सहित वन स्टॉप सेंटर का अमला उपस्थित रहा।

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