scriptआरओ प्लांट : अनमोल नीर का यहां नहीं कोई मोल | RO Plant: Anmol Neer's No No Mole here | Patrika News
शाजापुर

आरओ प्लांट : अनमोल नीर का यहां नहीं कोई मोल

शहर में संचालित १४ प्लांट में हर दिन बर्बाद हो रहा लाखों लीटर पानी, जलसंकट से जूझ रहे जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं

शाजापुरJun 05, 2019 / 12:31 am

rishi jaiswal

patrika

administration,nagar palika,water crices,RO Plant,water wastage,World Enviroment Day,

पीयूष भावसार
शाजापुर. आज विश्व पर्यावरण दिवस है। सभी जगह पर्यावरण को बचाने के लिए बातें होती हैं। कार्यक्रम होते हैं, लोगों को शपथ दिलाई जाती है, पर्यावरण को बचाने के लिए जागरुकता फैलाई जाती है, लेकिन जब पर्यावरण दिवस गुजरता है तो फिर से सभी बातें केवल खबरों तक सीमित रह जाती है। पर्यावरण की वास्तविकता में चिंता तो सभी दर्शातें है, लेकिन इसकी लिए कार्य कोई करता हुआ दिखाई नहीं देता है। कुछ लोग अपवाद स्वरूप पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभातें, लेकिन दूसरे उनसे कोई सीख नहीं लेते । ऐसे में उनका प्रयास उजड़ते पर्यावरण के आगे बौना साबित हो जाता है। ऐसे में शहर के अंदर संचालित आरओ प्लांट से हर दिन लाखों लीटर पानी वेस्ट हो रहा है। खास बात यह कि जल संकट से जूझ रहे जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है। जबकि इस पानी से कई कार्य हो सकते है। निर्माण कार्य में इसका उपयोग किया जा सकता है। घरों में पीने को छोड़कर अन्य कार्यों के लिए आरओ प्लांट से निकले रहे वेस्ट पानी का उपयोग किया जा सकता है।
शहर की ही बात की जाए तो शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय होता है। पूरे शहर की आबादी चीलर डैम पर ही निर्भर है। लगातार सूखते जा रही चीलर डैम के कारण लोगों को पानी की चिंता सताने लगी है। इसके बाद भी इसकी ओर कोई सार्थक प्रयास नहीं हो रहे हंै। यदि थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो लगातार गिरते जा रहे भू-जल स्तर को रोका जा सकता है। इसके लिए शहर मेें प्रतिदिन व्यर्थ बह रहे लाखों लीटर पानी को सहेजने की जरूरत है। वर्तमान में शहर में करीब 14 आरओ प्लांट संचालित हो रहे हैं। इन प्लांट से हजारों कैम्पर पानी के शहर के प्रतिष्ठानों से लेकर घरों तक में पहुंचते है।ं इन आरओ प्लांट में से किसी में निजी कुएं से तो किसी में निजी ट्यूबवेल से पानी लेकर उसे फिल्टर करके कैम्परों में भरकर विक्रय किया जाता है। वहीं पानी को फिल्टर करने के बाद जो पानी वेस्ट के रूप में निकलता है वो ऐसे ही नालियां में व्यर्थ बह रहा है। इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
जिले में लगातार गिरता जा रहा भू-जल स्तर
जिलेभर में भीषण गर्मी के कारण लगातार भू-जल स्तर गिरता जा रहा है। भू जल विभाग के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं। विभाग ने जिले को चार ब्लॉक में बांटा हुआ है। इसमें से दो ब्लॉक तो संवेदनशील स्तर पर है। वहीं दो ब्लॉक सेमी क्रिटिकल स्तर तक पहुंच गए हैं। भूजल विभाग के अनुसार जिन क्षेत्रों में वर्षा काल में जितनी बारिश दर्ज हुई थी उससे ज्यादा पानी का दोहन हो गया है उसे क्रिटिकल स्तर पर और जहां पर बारिश में प्राप्त पानी से कुछ ज्यादा पानी खत्म हो गया है। उसे सेमी क्रिटीकल श्रेणी में रखा गया है। जिले में शुजालपुर और मो. बड़ोदिया ब्लॉक क्रिटीकल स्टेज पर पहुंच गए है। वहीं शाजापुर और कालापीपल ब्लॉक सेमी क्रिटीकल स्टेज पर है। यदि समय पर मानसून नहीं आया तो ये स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो सकती है। शाजापुर और कालापीपल में जहां वर्तमान में भू-जल स्तर 10 मीटर तक नीचे पहुंच गया है वहीं शुजालपुर और मो. बड़ोदिया में ये भू-जल स्तर करीब 15-20 मी. नीचे तक पहुंच चुका है।
चीलर डैम की हालत हो रही खराब
शहर के सबसे बड़े जलस्रोत चीलर डैम की हालत भी लगातार खराब हो रही है। पिछले साल बारिश कम होने से 23 फीट भराव क्षमता वाला चीलर डैम खाली रह गया था। इसके बाद नहर से सिंचाई के लिए पानी छोडऩे से ही इसकी हालत और खराब हो गई। वर्तमान में चीलर डैम का जलस्तर डैडस्टोरेज में 9 फीट नीचे तक पहुंच गया है। नगर पालिका डैम पर मोटरें लगाकर पानी की लिफ्टिंग कर रही है। इस बार भी मौसम विभाग समय पर बारिश नहीं होने और औसत से कम वर्षा होने की बात कह रहा है।
साल दर साल कम हो रही बारिश
जिलेभर की बात की जाए तो साल दर साल बारिश का आंकड़ा कम होता जा रहा है। जिले की औसत वर्षा से भी कम बारिश दर्ज की जा रही है। पिछले दो साल की बात की जाए तो दोनों साल में औसत वर्षा से कम बारिश दर्ज की गई। वर्ष 2017-18 में जिले में कुल औसत वर्षा 6 92.7 एमएम दर्जकी गई थी। इसके बाद वर्ष2018 -19 में जिले में कुल औसत वर्षा 729.7 एमएम दर्ज की गई थी। जबकि जिले की औसत वर्षा 990.1 एमएम है। इस मान से गत वर्ष ही जिले में 260.4 एमएम वर्षा कम हुई थी। यदि समय रहते पर्यावरण की सुरक्षा और भूजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में इसके परिणाम और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
जिले की ऐसी है स्थिति
जिले की औसत वर्षा : 990.1 एमएम
गत वर्ष जिले की औसत वर्षा : 729.7 एमएम
तहसीलवार स्थिति
तहसील गतवर्ष कुल वर्षा औसत वर्षा
शाजापुर 762.7 एमएम 995.7 एमएम
मो. बड़ोदिया 590 एमएम 995.7 एमएम
शुजालपुर 757 एमएम 981.7 एमएम
कालापीपल 840 एमएम 98 1.7 एमएम
गुलाना 699 एमएम 995.7 एमएम
कुल 3648 .7 एमएम 4950.7 एमएम
शहर में जो आराओ प्लांट संचालित हो रहे हैं उनके लायसेंस खाद्य-औषधी प्रशासन से जारी होते हंै। ये बात सही है कि आरओ प्लांट से वेस्ट पानी बह रहा है। इसके लिए जल्द से जल्द योजना बनाई जाएगी। इससे व्यर्थ बहने वाले पानी का उपयोग किया जा सके।
भूपेंद्र कुमार दीक्षित, सीएमओ, नगर पालिका-शाजापुर
जिले में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। शाजापुर और कालापीपल ब्लॉक गिरते भूजल स्तर के कारण सेमी क्रिटिकल श्रेणी (10 मीटर नीचे) में पहुंच गए है। वहीं शुजालपुर और मो. बड़ोदिया ब्लॉक क्रिटिकल स्टेज (15-20 मीटर नीचे) पर है।आगामी दिनों में स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है।
एसके शर्मा, सब इंजीनियर, भूजल विभाग-शाजापुर

Home / Shajapur / आरओ प्लांट : अनमोल नीर का यहां नहीं कोई मोल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो