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श्योपुर

कूनो नेशनल पार्क: अब ‘आशा’ और ‘तब्लिशी’ भी बड़े बाड़े में करेंगी शिकार, PM मोदी ने रखा था नाम

तीन मादा चीता (साशा, सवानाह और सियाया) अभी कूनो नेशनल पार्क के छोटे बाड़ों में हैं….

श्योपुरNov 28, 2022 / 12:21 pm

Ashtha Awasthi

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Kuno National Park

श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क के छोटे बाड़ों में क्वारंटाइन मादा चीता आशा और तब्लिशी भी अब तीन नर चीतों की तरह बड़े बाड़े में शिकार करेंगी। दोनों को रविवार दोपहर बड़े बाड़े के अलग-अलग कंपार्टमेंट में छोड़ दिया गया। अब बड़े बाड़े में 5 चीते हो गए हैं, जबकि 3 मादा चीता अभी छोटे बाड़ों में हैं। कूनो में चीतों की वंश वृद्धि के लिहाज से भी यह बड़ा कदम माना जा रहा है। बड़े बाड़े से तेंदुआ को निकाले जाने के बाद रविवार की सुबह चीता टास्क फोर्स के सदस्य आइजी फॉरेस्ट अमित मलिक, डब्ल्यूआइआइ के डीन वाइवी झाला और पीसीसीएफ (वन्यप्राणी) जेएस चौहान कूनो पहुंचे और स्थानीय अफसरों से चर्चा की। तैयारियों का जायजा लिया। इसके बाद मादा चीतों को छोड़ने का फैसला हुआ। बाड़े के कंपार्टमेंट नंबर 6 में तब्लिशी तो कंपार्टमेंट 7 में आशा को छोड़ा है।

प्रधानमंत्री ने दिया था आशा नाम

बता दें, सितंबर में पीएम नरेंद्र मोदी ने कूनो में चीता प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया था। तब उन्होंने 3 चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा था। उन्होंने ही एक मादा चीता का नाम आशा रखा था। बाद में इसी आशा के गर्भवती होने की खबरें सामने आईं, लेकिन सभी अफवाह साबित हुई हैं। बता दें, नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (3 नर व 5 मादा) कूनो में बेहतर ढंग से सर्वाइव कर रहे हैं। उनकी निगरानी की जा रही है।

72 दिन बाद छोड़ी गईं मादा चीता

17 सितंबर से क्वॉरंटीन 2 मादा चीता को 27 नवंबर को बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। इस लिहाज से 72 दिन बाद ये दोनों छोटे बाड़े से निकली हैं। इससे पहले 5 नवंबर को दो नर चीते और 18 नवंबर को एक नर चीते को बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। ये वहां प्राकृतिक रूप से भी शिकार कर रहे हैं।

छह वर्ग किमी का है बड़ा बाड़ा

छह वर्ग किमी के घेरे में चीते शिकार को मारकर खाएंगे और स्वाभाविक रूप से खुद को ढाल लेंगे। बाड़े में पहले से ही हिरण, जंगली सुअर, नीलगाय और अन्य वन्य जीवों को चीतों के शिकार करने के लिए रखा गया है। यहां तीन से चार महीने बिताने के बाद चीतों को जंगल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

24 घंटे में चार बार मिलेगी लोकेशन

वन विभाग के अधिकारी बड़े बाड़े में छोड़े गए चीतों की, उनके गले में पहनाए गए कॉलर आईडी से मॉनीटरिंग करेंगे। कॉलर आईडी से चीतों की लोकेशन सेटेलाइट के माध्यम से दिन में चार बार वन विभाग के अधिकारियों को सिस्टम पर ऑटोमैटिक मैसेज के माध्यम से मिलेगी। इसकी मदद से टीम जरूरत पड़ने पर चीतों के पास पहुंच सकेगी।

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