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सौभाग्य योजना मे भारी पड़ा दुर्भाग्य

सौभाग्य योजना मे भारी पड़ा दुर्भाग्य, बिना कार्य कराए ही आहरित कर ली गई राशि, तीन दिन तक दस्तावेज ख्ंागालने के बाद वापस लौटी टीम, रीवा, सिंगरौली, जबलपुर के अधिकारियों को जांट टीम मे किया गया था शामिल

सीधीDec 14, 2019 / 01:48 pm

op pathak

सीधी। जिले में शासन की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी है। हकीकत यह है कि करोड़ों खर्च होनें के बाद भी दूरदराज गांवो में रहनें वाले गरीबों के घर सौभाग्य की बिजली नहीं पहुंची है। लिहाजा आज भी हजारों गरीब परिवार अंधेरे में रहनें को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री की मंशा थी कि हर घर में बिजली का कनेक्शन पहुंचे। इसके लिए अन्य जिलों के साथ ही सीधी जिले को भी करोंड़ों का बजट मिला। बजट मिलते ही बड़े अधिकारियों ने चहेते ठेकेदारों को जिम्मेदारी सौप कर पीछे से अपना स्वार्थ सिद्ध करना शुरू कर दिया। सौभाग्य योजना के तहत जो लोग बिजली का कनेक्शन लेना चाहते हैं उन्हें सभी विद्युत वितरण केंद्रों में विचौलिओं से मिलना पड़ता है। बिचौलिए ही आवेदन लेने के साथ ही सभी औपचारिकताओं की पूर्ति करतें हैं। स्थिति यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के घर भले ही बिजली कनेक्शन न हुआ हो लेकिन बिजली के बिल भी आने शुरू हो गए हैं। मामला प्रकाश मे आने पर विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर के द्वारा जांच टीम गठित कर मामले की जांच कराई गई। जांच टीम विगत तीन दिन तक जिले मे उपस्थित होकर दस्तावेज खंगालने के साथ गांव मे जाकर योजना की हकीकत परखी गई। वहीं जांच प्रतिवेदन तैयार कर गुरूवार को वापस लौट गए।
सौभाग्य योजना का कार्य ठेकेदार की मनमानीं से अभी अधूरा है इस वजह से कनेक्शन अभी कागजों मे ही हुआ है। जल्द ही उनके घर भी सौभाग्य योजना की बिजली से जगमगानें लगेंगे। महीनों गुजर जानें के बाद भी जब कनेक्शन नहीं हुआ तो कई ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला मुख्यालय में आकर विद्युत वितरण केंद्र के बड़े अधिकारियों से की लेकिन नतीजा सिफर ही निकला। गरीबों के गांव में सौभाग्य योजना के तहत ट्रांसफार्मर, विद्युत पोल एवं केबिल लगानें मे भी जमकर घोटाला किया गया है। कुसमी एवं मझौली ब्लॉक के दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां ट्रांसफार्मर तो लगा दिया गया है लेकिन विद्युत पोल नहीं लगाए गए हैं। कई गांव ऐसे भी हैं जहां विद्युत पोल लगाए गए हैं लेकिन उसमें विद्युत लाइन नहीं खींची गई है लिहाजा विद्युत सप्लाई कैसे हो इसको लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। उधर विद्युत मंडल के सूत्रों का कहना है कि सीधी जिले में सौभाग्य योजना का कार्य ठेकेदारों को सौंपने से पूर्व नियमानुसार टेंडर कराना था। विभाग के बड़े अधिकारियों की ठेकेदारों से सांठ-गांठ के चलते सीधी जिले में सौभाग्य योजना दुर्भाग्य में बदल चली है। सौभाग्य योजना के तहत सीधी जिले को एक करोड़ से ज्यादा का बजट मिला था। उक्त बजट से विद्युत पोल, मीटर, केबिल, सोलर पैनल, एलईडी बल्व, ट्रांसफार्मर समेत अन्य सामग्री की व्यवस्था होनीं थी। योजना के क्रियान्वयन से जुड़े विद्युत मंड़ल के बड़े अधिकारियों ने स्वयं पूरी कमान संभाली है। नतीजन ठेकेदार भी इन्हीं की बात सुनते हैं। विद्युत वितरण केंद्रों में बैठे कनिष्ट यंत्री पूरी तरह से कार्रवाई कर पानें में लाचार हैं। कनिष्ट यंत्रियों पर दबाव बनाकर विभाग के बड़े अधिकारी ठेकेदारों के पक्ष में रिपोर्ट ले रहे हैं और भुगतान करानें के बाद अपना हिंस्सा बसूल रहे हैं। जांच प्रतिवेदन कंपनी मुख्यालय मे पहुंचने के बाद कई अधिकारियों व ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
क सौ ११ करोड़ रुपए हुए थे स्वीकृत-
पूर्व में विद्युतीकरण से जो क्षेत्र और मकान छूट गए थे, उन सबमें विद्युतीकरण करने के लिए रीवा संभाग को करीब सवा तीन सौ करोड़ रुपए मिले थे। जिसमें रीवा संभाग मे सीधी जिले को सबसे ज्यादा बजट मिला था। जिसमें रीवा को 58.02 करोड़, सतना को 47.83 करोड़, सीधी को 111.65 करोड़ एवं सिंगरौली को 104 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसमें से बड़ी रकम खर्च किए जाने का दावा बिजली कंपनी ने किया है। आरोप है कि मनमानी हुई है, जिस पर मौके पर परीक्षण किया गया है।

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