मानवता हुई शर्मशार, हांथ ठेले से ले जाना पड़ा शव
जिला अस्पताल में बीमारी से मौत के बाद शव ले जाने के लिए नहीं मिला शव वाहन, जिला अस्पताल से पांच किमी दूर जोगीपुर गांव ले गए शव
Humanity became ashamed, the body had to be taken away by hand
सीधी। गरीब परिवार के परिजन की जिला अस्पताल में मौत के बाद उसका शव ले जाने के लिए शव वाहन मुहैया नहीं हो पाया, परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह शव ले जाने के लिए निजी वाहन की व्यवस्था नहीं कर सके, ऐसी स्थिति में हांथ ठेले में शव रखकर ले जाया गया, जिससे जिले में एक बार फिर मानवता शर्मशार हो गई।
बताया गया कि जोगीपुर निवासी श्रीलाल कोल पिता छोटकन कोल ५० वर्ष को बीमारी हालत में विगत दिनो परिजनों द्वारा जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान बीती शाम करीब ६ बजे उसकी मौत हो गई। श्रीलाल कोल की मौत के बाद उसका शव गृह ग्राम जोगीपुर ले जाने के लिए उसके परिजन जिला अस्पताल के शासकीय शव वाहन की व्यवस्था के लिए प्रयाश करने लगे। परिजनों के अनुसार उस वक्त जिला अस्पताल में मौजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शव वाहन के चालक की अनुपलब्धता बताई गई, कुछ देर तक परेशान होने के बाद मृतक के परिजन शव ले जाने के लिए कुछ निजी वाहन संचालकों से चर्चा किए लेकिन महज पांच किलोमीटर दूरी तक शव ले जाने के लिए भी निजी वाहन संचालकों द्वारा काफी पैसों की मांग की जा रही थी, जिसे देने में वह अक्षम रहे, ऐसी स्थिति में मृतक के परिजनों द्वारा शहर में हांथ ठेले की व्यवस्था की गई, और शाम करीब ७ बजे वह हांथ ठेले में शव लेकर गृहग्राम के लिए रवाना हुए।
शव वाहन की व्यवस्था के बाद भी ऐसी स्थिति-
जिले में दो वर्ष पूर्व तक सामुदायिक स्वास्थ केंद्रो में शव वाहन की व्यवस्था नहीं थी, जिससे अक्सर लोग अपने परिजनों की मौत पर कभी बाइक, कभी सायकल, कभी डोली खटोली तो कभी अन्य माध्यमों से अस्पतालों से शव लेकर अपने घर या घर से मर्चुरी केंद्र तक लाते ले जाते थे, जिससे मानवता शर्मशार होती थी। इस मामले को मीडिया द्वारा लगातार उठाए जाने के बाद जिला अस्पताल सहित जिले के विकासखंड स्तरीय सीएचसी में शव वाहनों की व्यवस्था की गई थी। जिससे इस तरह की घटनाएं कम हो गई थी, लेकिन अब फिर इस तरह के मामले सामने आने से मानवता शर्मशार होने लगी है।
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