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सीधी

बच्चों की फर्जी उपस्थिति दर्ज करा बजट की बंदरबांट कर रहे आंगनवाड़ी केंद्र, कलेक्टर साहब जरा इधर भी नजरें इनायत तो करिए

जिले में ज्यादतर आंगनवाड़ी केंद्रों में चल रहा फर्जीवाड़ा

सीधीJan 16, 2019 / 06:53 pm

Anil singh kushwah

Record the fake presence of children, Anganwadi center ports of budget

Record the fake presence of children, Anganwadi center ports of budget

सीधी/पथरौला. जिले अंतर्गत महिला बाल विकास विभाग की ओर से संचालित किए जाने वाले आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन फर्जी उपस्थिति के सहारे कोरमपूर्ति कर किया जा रहा है। मंगलवार को पत्रिका टीम द्वारा मंगलवारा को मझौली जनपद के सेक्टर मड़वास अंतर्गत तकरीबन दर्जन भर आंगनबाड़ी कंेद्रों का भ्रमण कर जायजा लिया तो स्थिति बड़ी दयनीय देखने को मिली है। आलम ये था कि जिस केंद्र मे 50 बच्चे दर्ज हैं। उस कंेद्र मे महज पांच बच्चे ही उपस्थित मिले। टीम द्वारा आगनवाड़ी कंेद्र क्रमांक-2 मड़वास मे 11.15 बजे जायजा लिया गया कार्यकर्ता छोटकी केवट नदारद मिली और सहायिका 1 बच्चे के साथ उपस्थित रहीं। पंूछने पर बताया कि केंद्र में कुल 47 बच्चे दर्ज हैं। कंेद्र क्रमांक-6 बरहाटोला मे 11.40 बजे कार्यकर्ता रुख्साना बेगम अनुपस्थित रहीं, सहायिका शकुंतला यादव 4 बच्चों के साथ उपस्थित मिली।
केंद्रों में कुल 57 बच्चे हैं दर्ज
बताया कि केंद्र मे कुल 57 बच्चे दर्ज हैं। साथ ही कंेद्र भवन विहीन होने के कारण प्राथमिक शाला भवन मे संचालित किया जाता है। केंद्र क्रमांक-4 बंधवाटोला मे दोपहर 12.20 बजे जायजा लिया तो कार्यकर्ता ने बताया कि कंेद्र मे कुल 45 बच्चे दर्ज, गर्भवती महिलाएं 5, धात्री महिलाएं 6 दर्ज हैं। जबकि कंेद्र मे 5 बच्चे व 1 धात्री महिला ही उपस्थित मिली। दोपहर 12.40 बजे आंगनबाड़ी कंेद्र क्रमांक 8 झंझराटोला पहुंची टीम को कार्यकर्ता सुनीता जायसवाल ने बताया कि कंेद्र भवन विहीन होने के कारण वर्ष 2014-15 से प्राथमिक शाला और आगनवाड़ी कंेद्र एक ही छत के नीचे संचालित होते हैं कंेद्र का भवन विगत चार वर्षों से निर्माणाधीन है किंतु अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है। वहीं प्राथमिक शाला की प्रधानाध्यापिका ने बताया कि विद्यालय के अतिरिक्त कक्ष का निर्माण गांव से आधा किलोमीटर दूर जंगल के किनारे कराया गया है।
नहीं दिया जाता नाश्ता और खाना
आंगनवाड़ी कंेद्रों की कार्यकर्ताओं ने बताया कि समूहों के द्वारा केंद्र आने वाले नौनिहालों को समूहों नास्ता व खाना भी मीनू के आधार पर और नियमित नहीं दिया जाता है। बताया गया कि खाना जब भी मिलता है तो दाल व चावल के साथ आलू की सब्जी मात्र मिलता है। कार्यकर्ताओं ने बताया कि मंगलवार के दिन खीर, पूड़ी बच्चों को मिलना चाहिए लेकिन कभी भी नहीं दिया जाता है।
उपयोगी चीजें भी नहीं
अधिकांश कंद्रों मे देखा गया कि दैनिक उपयोगी वस्तुएं भी नदारद हैं। यहां तक कि आने वाली महिलाओं व नौनिहालों को बैठने के लिये टाटए पट्टीए दरी नहीं होने के कारण बच्चों को धूल भरी जमीन मे बैठना पड़ता है। इतना ही नहीं केंद्र में आने वाले नौनिहालों को खाना खाने के लिए थाली भी घर से साथ लानी पड़ती है। कंेद्रों मे थालियां तक नहीं है, ना ही पानी पीने के लिए गिलासें ही हैं। इसलिए मजबूरी मे एक ही छत के नीचे आंगनबाड़ी और शाला संचालित करनी पड़ती है जिससे काफ ी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। दोपहर 12.50 बजे आंगनवाड़ी कंेद्र क्रमांक-2 अमहा पहुंची टीम को कंेद्र में महज छ: बच्चे ही मिले जबकि रजिस्टर में 30 बच्चे दर्ज थे। केंद्र विद्यालय के अतिरिक्त कक्ष मे संचालित होता है। जबकि आंगनबाड़ी का भवन निर्माण जून 2016 पूर्ण हो गया था। लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा हैंडपंप का खनन नहीं करवाया गया है, इसलिए कंेद्र संचालन भवन मे नहीं किया जा रहा है। और भवन खंडहर होता जा रहा है। दोपहर 1.10 बजे आंगनवाड़ी कंेद्र क्रमांक-1 धनौर का जायजा लिया गया, जहां कंेद्र मे कुल 40 बच्चे दर्ज बताए गए, जबकि उपस्थित महज 4 बच्चे ही मिले। यहां भी भवन के अभाव मे केंद्र का संचालन प्राथमिक शाला भवन मे किया जा रहा है। दोपहर 1.20 बजे आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक-2 धनौर की हालत देखी गई जो अति दयनीय थी। यहां पदस्थ कार्यकर्ता शिवकली केवट ने बताया कि कंेद्र में कुल 83 बच्चे दर्ज हैं।
जिले में केंद्रों की स्थिति काफी खराब
लेकिन कंेद्र में महज 6 बच्चे ही मिले। कार्यकर्ता द्वारा बताया गया कि केंद्र के भवन का निर्माण बीते वर्ष 2014-15 मे शुरू हुआ था। लेकिन पूर्ण नहीं हुआ बल्कि खंडहर होता जा रहा है। बताया गया कि भवन अभाव के कारण कंडम अतिरिक्त कक्ष मे कंेद्र का संचालन किया जाता है। जिससे बरशात छत का प्लास्टर बच्चों के सिर मे गिरता है। इसलिए बच्चों को बाहर धूल मे ही बैठाना पड़ता है। जानकारों की बात माने तो जो बच्चे सरकारी व निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं। उनका नाम भी आंगनवाड़ी कंेद्रों मे दर्ज कर बजट का बंदरबांट किया जाता है। जिसमे भी आला अधिकारियों की मिली भगत रहती है। क्षेत्रिय ग्रामीणों द्वारा जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित करवाते हुए निरीक्षण कर व्यवस्था सुधारने की मांग की गई है।

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