scriptSuccess Story: राजनीति करने के बाद चौधरी ने सांख्यिकी सेवा में हासिल की 11 वीं रैंक | After politics, Chaudhary got 11th rank in statistics service | Patrika News
सीकर

Success Story: राजनीति करने के बाद चौधरी ने सांख्यिकी सेवा में हासिल की 11 वीं रैंक

सीकर. यूथ की सोच है कि राजनीति से दूर रहना चाहिए। लेकिन मुझे बचपन से चुनौतियों से जूझना अच्छा लगता है।

सीकरAug 03, 2021 / 11:38 am

Sachin

Success Story:  राजनीति के बाद चौधरी ने सांख्यिकी सेवा में हासिल की 11 वीं रैंक

Success Story: राजनीति के बाद चौधरी ने सांख्यिकी सेवा में हासिल की 11 वीं रैंक

सीकर. यूथ की सोच है कि राजनीति से दूर रहना चाहिए। लेकिन मुझे बचपन से चुनौतियों से जूझना अच्छा लगता है। इसलिए राजनीति को नजदीक से देखने और समझने की ठान ली। स्नातक की पढ़ाई के दौरान किरोडीमल महाविद्यालय दिल्ली से महासचिव का चुनाव जीत लिया। यहां के अनुभवों से सीख लेते हुए पढ़ाई के साथ सांख्यिकी सेवा की तैयारी शुरू की। दो साल की मेहनत के बाद देशभर में 11 वीं रैंक हासिल की है। यह कहना है कि चरणसिंह नगर निवासी हर्षवर्धन चौधरी का। मूलत: लक्ष्मणा का बास निवासी चौधरी ने प्रयास में यह सफलता हासिल की है। इससे पहले भी वह कई प्रतियोगी परीक्षाओं में बाजी मार चुके है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय राजस्थान विवि के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यशवीर सिंह को दिया है। उन्होंने बताया कि पापा रामचंद सिंह गढ़वाल व मां सुबोध चौधरी सेवाविृत्त अध्यापक है। बचपन से ही कुछ अलग करने का जुनून था इसलिए सांख्किी सेवा में कॅरियर बनाने की ठान ली थी।


राजस्थान में बने सांख्यिकी संस्थान
निजी कंपनियों से लेकर सरकारी कार्यालयों में सांख्यिकी क्षेत्र में कॅरियर के अवसर काफी बढ़े है। राजस्थान में पिछले दस सालों में काफी भर्ती हुई है। राज्य सरकार की ओर से यदि राजकीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की जाती है तो रोजगार के अवसर कई गुणा बढ़ सकते है।


सफलता के लिए रोडमैप जरूरी

होनहार हर्षवर्धन चौधरी का कहना है कि जिस तरह हम घर में कोई शादी-समारोह का आयोजन करते है तो उसकी पूरी प्लानिंग करते है। इसी तरह युवाओं के लिए कॅरियर में सफलता भी एक भव्य समारोह की तरह है। युवा को सबसे पहले उस पाठ्यक्रम की पढ़ाई के लिए दाखिला लेना होता है। फिर उससे नौकरी मिलने की संभावनाओं को जानकर तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कोई परीक्षा हो डेढ़ से दो साल में बेहतर तरीके से तैयारी की जा सकती है। यही मैने किया दो साल की तैयारी में टॉप रैंक हासिल कर ली।

रोल मॉडल तो कोई होना चाहिए
जीवन में जिस तरह से हम अच्छे गुरु की तलाश करते हैं। ऐसे में आपको संघर्ष के लिए प्रेरित करने वाले रोल मॉडल भी तलाशना चाहिए जिसको देखकर आप आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। मैंने मेरी बहन गरिमा रैवाड़ व मेघा सिंह को रोल मॉडल मानकर संघर्ष की जंग शुरू की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय सेवानिवृत्त सहायक कमाण्डेंट बीएल रैवाड़ व कमलेश कुमार को दिया है।

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