इस कारण मनाते हैं अलग-अलग महंत बुद्धिप्रकाश जोशी के मुताबिक शास्त्रों के आधार पर भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र व वृष लग्न में हुआ था। स्मार्त चंद्रोदय व्यापनी रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं। वहीं वैष्णव उदियात तिथि को मानते हैं। इसलिए वैष्णव 24 अगस्त को उदियात में अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र पडऩे से इस दिन कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। इस बार अष्टमी तिथि 23 अगस्त को सुबह सुबह 8 बजकर 9 मिनट पर आरंभ हो जाएगी जो अगले दिन 24 अगस्त सुबह 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। 24 अगस्त को शनिवार को रोहिणी सुबह 6 बजकर 6 मिनट से तडक़े 4 बजकर 15 मिनट तक रहेगी, लेकिन मध्य रात्रि में रोहिणी के साथ अष्टमी तिथि का संयोग नहीं रहेगा।
बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग
पं.नन्द किशोर नांगलका के अनुसार 24 अगस्त को जन्माष्टमी पर कई विशेष योग बन रहे हैं। इस दिन अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र दोनों ही उदियात में पड़ रहे हैं। अष्टमी और शनिवार का संयोग आने से इस दिन सूर्योदय से ही अमृतसिद्धि व सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जो कृष्ण भक्तों के लिए सुख-समृद्धि दायक रहेगा।
होगी विशेष आराधना कृष्ण जन्मोत्सव के दिन मंदिरों सहित घर-घर भगवान के झूले सजेंगे और विशेष आराधना होगी। मंदिरों में मोहक झांकी के साथ ही भगवान के दर्शन होंगे। शहर के कई मंदिरों में मध्य रात्रि भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गीत-संगीत के साथ ही बाल-गोपालों की धूम रहेगी।