यूं समझे नुकसान का गणित दलहन में उत्पादन और वृद्धि साथ होती है। इस बरसात होने से पौधे का पोषण दाने बनाने की बजाए वानस्पतिक वृद्धि की ओर ओर चला जाता है। इससे फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। दानों के पकने की अवस्था में कुछ समय साफ मौसम रहता है तो फलिया जल्द पकने लगती हे। इससे किसान की उपज समय पर बाजार में आ जाती है और किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं।
इन फसलों पर असर बाजरा: जिले में खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा की अगेती बुवाई मई के अंतिम सप्ताह या जून के प्रथम सप्ताह में हुई है। इस समय अगेता बाजरा पक कर तैयार है। कई जगह तो बाजरे की कटाई भी शुरू हो गई है लेकिन बारिश और बादलों के कारण मौसम खुल नहीं रहा है नतीजन किसानों को कटाई रोकनी पड़ रही है। ऐसे में लगातार नमी वाला मौसम में रहने के कारण सिट्टों पर लगे दाने बदरंग हो जाएंगे साथ ही चारे की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
दलहन : दलहन फसलों में प्रमुख मूंग, मोठ व चंवळा है। यह फसलें मौसम के बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। इस समय सूखा समय निकलने से फसलें जल्द पकाव ले लेती है। विभाग की माने तो मूंगफली को जरूरत से बारिश का पानी जरूरत से ज्यादा मिलने के कारण जमीन में मूंगफली के दाने खाली रह जाते है। साथ ही बारिश के कारण मूंगफली के पौधे में दाने बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। इस प्रकार की मूंगफली के बाजार भाव कम रहते हैं। सीजन की नकदी फसल होने के कारण इससे किसानों का ज्यादा नुकसान हो रहा है।
मौसम खुल जाए तो फायदापिछले एक सप्ताह से मौसम में आए बदलाव के कारण खरीफ की अगेती फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। इस मौसम से पछेती फसलों को फायदा होगा। मौसम साफ नही होने पर किसानों को नुकसान बढ़ सकता है।
हरदेव सिंह बाजिया, कृषि अनुसंधान अधिकारी सीकर