डरावनी है कतर की कहानी
नवम्बर 2022 में कतर में फीफा वर्ल्ड कप होना है। वहां पिछले कई सालों से दर्जनों परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल Amnesty International ने कतर पर मजदूरों से जबरदस्ती काम कराने का आरोप लगाया था। एक कमरे में कई मजदूरों को ठूंसने, टॉयलेट और अन्य सुविधाएं बेहद खराब होने, भारी भरकम रिक्रूटमेंट फीस recruitment fees लेने और मजदूरी रोकने जैसी कई शिकायतें अक्सर आती रहती हैं। कतर में फीफा-2022 की जब से घोषणा हुई तब से भारत India, पाकिस्तान Pakistan, नेपाल Nepal, बांग्लादेश Bangladesh और श्रीलंका Sri Lanka के 6500 प्रवासी कामगारों migrant workers की मौत हो चुकी है। श्रम अधिकार समूह फेयरस्क्वेयर fairsquare का कहना है कि मरने वालों में अधिकतर वर्ल्ड कप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स world cup infrastructure projects में काम कर रहे थे। रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिसंबर 2010 में जब कतर को 22वें फीफा वर्ल्डकप के लिए चुना गया था तब से लेकर अब तक हर सप्ताह इन देशों के लगभग 12 लोगों की मौत हुई है। कतर में पिछले 10 साल में लगभग 28 लाख प्रवासी मजदूरों ने फुटबॉल के 7 नए स्टेडियम का निर्माण किया है। मेट्रो, एयरपोर्ट, मोटरवे व नया शहर बसाया गया है।
खाड़ी में 3267 ने की खुदकुशी
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 2014 से अब तक 1122 आत्महत्या यूएई में दर्ज की गई। सऊदी अरब में 1024 भारतीय लोगों ने आत्महत्या की। कुवैत में 425, ओमान 351, बहरीन 180, कतर में 165 भारतीयों ने खुदकुशी की।
एक से डेढ़ माह बाद नसीब हुई माटी
केस एक : सऊदी अरब के रियाद शहर में काम करने गए फतेहपुरा के रामवतार की 20 अप्रेल 2020 को हार्ट अटैक से मौत हो गई। कंपनी ने शव को एक माह बाद दफना दिया। परिवार को सूचना तक नहीं दी गई। परिजनों ने विदेश मंत्रालय foreign Ministry व राज्य सरकार State government को कई पत्र लिखे। कई दिनों तक आश्वासन ही मिलते रहे।
केस दो : 25 मार्च 2022 में खंडेला तहसील के डेरा गांव के एक युवक की सऊदी में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। करीब 45 दिन बाद शव घर पहुंचा। कैलाश करीब 6 साल पहले मजदूरी करने सऊदी गया था। कुछ सालों तक तो वह परिजनों के संपर्क में रहा। लेकिन, एक दिन अचानक उसने परिजनों से तीन लाख रुपए की मांग की। राशि मिलने के बाद से ही उससे संपर्क टूट गया। सीधे उसकी मौत की खबर मिली। परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए जांच करवाने की मांग की।
एक्सपर्ट व्यू
तेज गर्मी में ओवरटाइम भी मौत की वजह
खाड़ी देशों में कई कंपनियों की ओर से कामगारों को रहने की सामान्य सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जाती। छोटे-छोटे कमरों में 10 से 15 मजदूरों को ठहरा दिया जाता है। बाथरूम और अन्य सुविधाएं ठीक नहीं होती। इससे बीमार होने और संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। यहां तेज गर्मी में ओवरटाइम काम भी इनकी मौत का एक कारण है। श्रमिकों को अपने हक के लिए बोलना चाहिए। पिछले कुछ सालों में मौत का आंकड़ा काफी बढ़ा है। वहीं अप्रशिक्षित कामगारों को कई बार किसी ऐसे काम में लगा दिया जाता है जिसमें वह दक्ष ही नहीं है। इससे भी कई बार हादसे होते हैं।
शाहीन सैयद, मानवाधिकार कार्यकर्ता, दुबई