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सीकर में खामोश कदमों से बढ़ रहा है हेपेटाइटिस

विश्व हेपेटाइटिस दिवस आज: हेपेटाइटिस ए और ई का इलाज नहीं मिलने से हो रहे रैफर

सीकरJul 28, 2021 / 06:46 pm

Suresh

सीकर में खामोश कदमों से बढ़ रहा है हेपेटाइटिस

सीकर में खामोश कदमों से बढ़ रहा है हेपेटाइटिस

सीकर. वायरल बीमारियो में सबसे ज्यादा खतरनाक माने जाना वाला हेपेटाइटिस का वायरस सीकर जिले में खामोशी से पैर पसार रहा है। जिला मुख्यालय पर स्क्रीनिंग के बाद ग्रामीण इलाको में फॉलोअप नहीं होने के कारण मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है मजबूरी में हेपेटाइटिस की चपेट में आने वाले मरीजों को उपचार के लिए जयपुर या अन्य बड़े शहरों की ओर जाना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार मानसून सीजन के दौरान हेपेटाइटिस ज्यादा फैलता है और जिले में इसे रोकने के लिए तैयारी नाममात्र की भी नहीं है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर आ रही है और बच्चो सहित गर्भवती महिलाओं के लिए घातक मानी जा रही है इसके बावजूद जिले में हेपेटाइटिस ए और ई के उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। नतीजन संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। कल्याण अस्पताल में चल रहे क्लिीनिक के अनुसार एक जनवरी से अब तक 23 लोगो में हेपेटाइटिस की पुष्टि हो चुकी है। प्रदेश के आंकड़ें जोड़े तो हर 28 वां व्यक्ति हेपेटाइटिस से ग्रसित है।
जांच जरूरी
हेपेटाइटिस की जांच के दौरान वायरस का प्रकार पता नहंी चलने पर समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। कई मामलों लक्षण दिखाई देने में एक महीने से चार महीने लग जाते हैं। ऐसे मामलों को एक्यूट कहा जाता है। वहीं जब इन्फेक्शन छह महीने से ज्यादा समय से हो, तब वह क्रॉनिक कहलाता है। इसमें मरीज के पूरी तरह ठीक होने के आसार कम हो जाते हैं। लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जान तक ले लेता है। कुछ समय पर कल्याण अस्पताल के एक स्टॉफ की इस महज दो महीने में ही मौत हो गई तो सभी ने खुद के खर्च पर हिपेटाइटिस के इंजेक्शन लगवाए।
सालों तक खामोश रहता है वायरस
हेपेटाइटिस को ए, बी, सी, डी और ई श्रेणी में रखा गया है। शरीर में लीवर ही एक ऐसा आर्गन है जो 50 प्रतिशत तक डेमेज होने के बाद वापस खुद बन जाता है चिंताजनक बात है कि किसी भी व्यक्ति का लीवर 50 प्रतिशत से ज्यादा नष्ट होने के बाद बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं।
अधिकांश कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. यहां तक कि उन्हें संक्रमण के बारे में भी पता नहीं होता है। जिससे ये लोग अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते है। हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण तो शरीर में कई साल तक खामोश रहता है। जिसकी अनदेखी करने पर क्रोनिक हेपेटाइटिस हो जाता है और अधिकांश मामलो में मरीज को लीवर फेल्यौर और कभी-कभी लीवर कैंसर तक हो जाता है।
हेपेटाइटिस बी और डी सबसे घातक
हेपेटाइटिस बी हेपेटाइटिस बी का वायरस खून, सीमन और शरीर के अन्य तरल पदार्थ के जरिए संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचता है। हेपेटाइटिस बी का वायरस खामोशी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर वार करता है और व्यक्ति को पता ही नही चलता है।
हेपेटाइटिस डी होने पर लीवर में सूजन और जलन रहती है। सूजन ज्यादा समय तक रहने पर लीवर का कैंसर होने का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
आज होंगे कार्यक्रम
विश्व हिपेटाइटिस दिवस पर बुधवार को जेल बंदियों की स्क्रीनिंग कर उपचार दिया जाएगा। गर्भवती महिलाओं की एएनसी के साथ हेपेटाइटिस की स्क्रीनिंग की जाएगी। वायरल लोड की जांच के लिए पॉजिटिव रोगियों के सैम्पल मेडिकल कॉलेज में भिजवाए जाएंगे। इससे पूर्व सुबह 11 से 12 बजे तक चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा की अध्यक्षता में एडवोकेसी कार्यशाला वर्चुअल सेंसेटाइजेशन होगी। जिसमें हैपेटाइटिस रोग की रोकथाम व नियंत्रण के बारे में जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला में आमजन भी यूट्यूब के जरिए जुड सकेंगे।
इनका कहना है…
मैंने पिछले महीने ही ज्वाइन किया है। कल्याण अस्पताल में चल रहे क्लिीनिक में एक जनवरी से अब तक 140 लोगो की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें 20 पॉजिटिव आए। जुलाई माह में 27 में से तीन पॉजिटिव आए है।
उम्मेद सिंह, नोडल अधिकारी, हिपेटाइटिस क्लीनिक

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