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शहीद की मां बोली- मेरा बेटा मरा नहीं है, वह आज भी जिंदा है हमारे दिलों में, हमारी हर यादों में

Kargil Vijay Diwas : करगिल की पहाडिय़ों में दुश्मन को मुंहतोड जवाब देते समय कुछ इसी जज्बे के साथ माटी का कर्ज चुका कर अमर हुए थे रामपुरा गांव के शहीद विनोद कुमार नागा।

सीकरJul 26, 2019 / 04:13 pm

Naveen

Kargil Vijay Diwas : करगिल की पहाडिय़ों में दुश्मन को मुंहतोड जवाब देते समय कुछ इसी जज्बे के साथ माटी का कर्ज चुका कर अमर हुए थे रामपुरा गांव के शहीद विनोद कुमार नागा।

शहीद की पिता बोले- मेरा बेटा मरा नहीं है, वह आज भी जिंदा है हमारे दिलों में, हमारी हर यादों में

सीकर।
Kargil Vijay Diwas 2019 : कसम मुझे इस माटी की, कुछ ऐसा मैं कर जाऊंगा…हां मैं इस देश का वासी हूं, इस माटी का कर्ज चुकाऊंगा। करगिल की पहाडिय़ों में दुश्मन को मुंहतोड जवाब देते समय कुछ इसी जज्बे के साथ माटी का कर्ज चुका कर अमर हुए थे रामपुरा गांव के शहीद विनोद कुमार नागा। करगिल दिवस पर आज आपको शेखावाटी के इसी जांबाज दास्तां बताते है। ऑपरेशन विजय ( Opeartion Vijay ) के दौरान 30 मई 1999 में देश की सरहद की रक्षा करते हुए सिपाही विनोद कुमार नागा शहीद ( Martyr Vinod Kumar Naaga ) हो गए थे।

पत्रिका की टीम जब इसके गांव रामपुरा पहुंची तो परिजनों का दर्द छलक पड़ा। परिजनों ने कहा, हमें हमारे लाडले पर फर्क है। उन्होंने देश के लिए जान लगा दी। केवल रामपुरा ही नहीं बल्कि पूरे सीकर जिले व राजस्थान का मान बढ़ाया। उस समय राजस्थान पत्रिका ने भी सम्बल दिया। सरकार ने भी पेट्रोल पम्प, जमीन, पेंशन सहित अनेक सुविधाएं दी। लेकिन अभी भी एक टीस शेष है। कई बार गुहार लगाने के बावजूद परिवार के किसी सदस्य को अभी तक घोषणा के अनुसार सरकारी नौकरी नहीं दी गई।

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पिता भी कर चुके देश सेवा
विनोद के पिता भागीरथ सिंह भी सेना से रिटायर्ड सूबेदार हैं। जब उनसे शहीद का जिक्र किया तो पहले बूढी आंखे छलक पड़ी, लेकिन फिर हिम्मत कर बोले, नाज है मेरे बेटे पर। जिसने अपनी माटी का कर्ज पूरा किया। शहीद की मां बोली मेरा बेटा मरा नहीं अमर हो गया। वह आज भी जिंदा है हमारे दिलों में, हमारी हर यादों में। हमने और हमारे परिवार ने तो देश सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन सरकार खुद अपना वादा नहीं निभा रही।

 

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अब बस यही इच्छा है कि पोते को नौकरी मिल जाए। मां रुक्मा देवी ने भरे हुए गले से कहा, बेटे के बदले तो बेटा नहीं मिलता, जब भी कोई त्योंहार आता है। शादियों के आयोजन होते हैं, बेटे को याद कर आंखे भर आती है, लेकिन साथ ही नाज है उसने पूरे जिले का मान बढ़ाया। सरकार ने बहुत कुछ दिया अब एक ही मांग है पोते की सरकारी नौकरी लग जाए।

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