scriptSuccess Story. कोरोना से हार मानने के बजाय पढ़ाई में जुटी रही बेटी, 98.50 फीसदी के साथ रचा इतिहास | Nikita got 98.50 percent marks in 10th board | Patrika News
सीकर

Success Story. कोरोना से हार मानने के बजाय पढ़ाई में जुटी रही बेटी, 98.50 फीसदी के साथ रचा इतिहास

सीकर. कोरोना में सब कुछ अनलॉक हो गया तो भी हमारे होनहारों का संघर्ष जारी रहा। इसी के दम पर हमारे होनहारों की प्रतिभा अब निखरकर सामने आई है।

सीकरJun 14, 2022 / 02:31 pm

Ajay

Success Story. कोरोना से हार मानने के बजाय पढ़ाई में जुटी रही बेटी, 98.50 फीसदी के साथ रचा इतिहास

Success Story. कोरोना से हार मानने के बजाय पढ़ाई में जुटी रही बेटी, 98.50 फीसदी के साथ रचा इतिहास

सीकर. कोरोना में सब कुछ अनलॉक हो गया तो भी हमारे होनहारों का संघर्ष जारी रहा। इसी के दम पर हमारे होनहारों की प्रतिभा अब निखरकर सामने आई है। नवजीवन साइंस स्कूल की होनहार निकिता मीणा ने कक्षा दसवीं के परिणाम में 98.50 फीसदी अंक हासिल कर शेखावाटी का मान बढ़ाया है। खास बात यह है कि परिवार की सबसे छोटी बेटी ने बड़ी बहनों को भी दसवीं के परिणाम में पीछे छोड़ दिया है। होनहार निकिता का कहना है कि यदि योजना बनाकर मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है। होनहार ने गणित विषय में 100 में से 100 अंक हासिल किए है। जबकि संस्कत में 99 अंक प्राप्त किए है। उन्होंने सफलता का श्रेय पिता महावीर मीणा व मां सावित्री देवी व संस्था के मानद निदेशक शंकर बगडिया को दिया है।

प्रेरणा: स्कूल के माहौल से मिली सीख
पत्रिका से खास बातचीत में निकिता ने बताया कि सफलता में सबसे अहम रोल स्कूल के माहौल का रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान में ज्यादातर मोटिवेशनल सेमीनार में आईएएस व आईपीएस अफसर आते है। इनके भाषण सुनकर आगे बढऩे की सीख मिली। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए परिजनों के साथ स्कूल निदेशक शंकर बगडिया व अनिता चौधरी ने हमेशा प्रोत्साहित किया।

संघर्ष: 6 घंटे की ली नींद, पूरे साल रातभर पढ़ाई

दसवीं टॉप करने की राह में कई चुनौतियां आई। लेकिन बेटी ने हार मानने के बजाय संघर्ष के रास्ते को चुना। होनहार निकिता ने बताया कि सुबह पांच बजे से उसकी दिनचर्या शुरू हो जाती थी। इसके अलावा रात 12 बजे तक अपनी बहनों के साथ बैठकर पढ़ाई करती।

आगे लक्ष्य: कलक्टर बनना चाहती है बेटी
होनहार निकिता का कहना है कि वह भविष्य बीएससी के साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करेगी। बेटी का सपना सिविल सेवा में भी टॉप रैंक हासिल कर कलक्टर बनना है।

संदेश: कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं
जीवन में बड़े लक्ष्य को देखकर कभी हार नहीं मााननी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्कूल में जो पढ़ाया जाता है उससे पहले वह उस टॉपिक को पूरा तैयार करती। इसके अलावा खुद के नोट्स बनाकर तैयारी की। निकिता ने बताया कि स्कूल से डाउट को दूर करने में काफी सहयोग मिला।

Home / Sikar / Success Story. कोरोना से हार मानने के बजाय पढ़ाई में जुटी रही बेटी, 98.50 फीसदी के साथ रचा इतिहास

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो