देश का सबसे गरीब सांसद है राजस्थान का ये नेता, जिनके पास है केवल 34,311 रुपए की कुल संपत्ति
इसकी बानगी बुधवार सुबह जिला मुख्यालय पर आयोजित आरयूआईडीपी के संवाद कार्यक्रम में दिखी। जहां प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर मीडिया के पूछे गए एक सवाल पर सांसद स्वामी सुमेधानंद का बड़बोलापन भी जग जाहिर हो गया। दरअसल, आरयूआईडीपी के संवाद कार्यक्रम में सीकर विधायक रतन जलधारी ने सौ करोड़ के विकास कार्यों को लेकर आरयूआईडीपी के अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे मनमर्जी से काम करते हैं। शिकायत करने पर भी नहीं सुनते हैं।
अधिकारियों के नहीं सुनने के इसी मुद्दे पर जब sikar mp Swami Sumedhanand से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अधिकारी विधायक की नहीं सुनते होंगे, लेकिन उनकी तो सुनते हैं। यहां तक तो ठीक था, लेकिन आगे उन्होंने जो कहा वह विवाद का सबब बन गया। उन्होंने इसके आगे कहा कि जो अधिकारी उनकी नहीं सुनते वो उसे ‘टंगवाÓ देते हैं। यानी उनके खिलाफ कार्रवाई करवा देते हैं। संत से सांसद बने सुमेधानंद सरस्वती का यह टंगवा देना शब्द ही बवाल का सबब बन गया। जिसकी चर्चा अब भी जहां- तहां जारी है।
जानिए बैठक में और क्या-क्या हुआ
ruidp की विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में एक हुए कांग्रेसी और भाजपा जनप्रतिनिधि सीकर में आरयूआईडीपी के तहत कराए गए सौ करोड़ के विकास कार्य की समीक्षा बैठक में आरयूआईडीपी के अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों ने घेर लिया। विकास के काम के नाम पर घटिया और मनमर्जी से काम करने का आरोप लगाते हुए सांसद से लेकर विधायकों और सभापति तक ने दलगत भेद भुलाकर आरयूआईडीपी के अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाई। उनका कहना था कि शहर में सौ करोड़ का विकास कहीं नहीं दिखाई दे रहा है। विकास की बजाय शहर में समस्याएं दिख रही है।
आरयूआईडीपी की ओर से ना तो पेयजल के लिए टंकी निर्माण से लेकर सप्लाई के लिए कनेक्शन तक सहीं किए किए गए। ना ही पानी निकासी के लिए बेहतर प्रबंध हुए। केवल कागजों में काम दिखाकर आरयूआईडीपी के अधिकारियों ने सौ करोड़ के बजट का पलीता लगा दिया। कलक्टर नरेश कुमार ठकराल की अध्यक्षता वाली बैठक में विधायक रतन जलधारी तक ने तो यहां तक कहा कि अधिकारियों ने शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं की। जब उन्हें पेयजल कार्य में खामी बताई गई तो उन्होंने जलदाय विभाग पर दोष मढ़ दिया।
सीकर नगर परिषद सभापति जीवन खां ने आरयूआईडीपी के काम पर सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकारी ढंग से काम करते तो शहर में आज पेयजल और पानी निकासी सरीखी समस्या ही नहीं रहती। जनप्रतिनिधियों के आरोपों के बीच इस दौरान पूरे मामले की जांच के लिए एक चार सदस्यी कमेटी के गठन का फैसला लिया गया। जो एडीएम की अध्यक्षता में 15 दिन में आरयूआईडीपी के काम की जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी। इस दौरान फतेहपुर और लक्ष्मणगढ़ के विकास कार्यों पर भी चर्चा हुई। जिसमें पहले चरण में पेयजल समस्या दूर करने के लिए काम किया जाना तय हुआ।