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121 फीट की अगरबत्ती से सिंहस्थ में गोरक्षा का संदेश

सरकार अखाड़ा कहे जाने वाले श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े में 10 अप्रैल को पेशवाई के बाद जब छावनी में इष्ट देव की स्थापना होगी उसी के साथ इसे अखाड़े की छावनी स्थल पर हठयोगी श्रीमहंत भोलागिरि बापू प्रज्ज्वलित कर संपूर्ण सिंहस्थ क्षेत्र को सुगंधित कर गोरक्षा का आवाहन करेंगे।

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simhastha simhastha

Feb 25, 2016

सिंहस्थ महापर्व में गोरक्षा का संदेश देने के लिए गुजरात के वड़ोदरा शहर से पांच हजार किलो पंच द्रव्यों से तैयार की गई 121 फीट की अगरबत्ती महाकाल की नगरी पहुंची। सरकार अखाड़ा कहे जाने वाले श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े में 10 अप्रैल को पेशवाई के बाद इसे खड़ा कर प्रज्वलित किया जाएगा। 3 लाख रुपए की लागत से 3 महीने में तैयार की गई इस अगरबत्ती को अखाड़े के हठयोगी श्रीमहंत भोलागिरि बापू प्रज्वलित करेंगे। गुजरात के शिववाड़ी आश्रम से आए महंत आकाशगिरि ने बताया कि 21 फरवरी को विशाल शोभायात्रा के साथ यह अगरबत्ती ट्राले में रखकर महाकाल की नगरी पहुंची । बाबा महाकाल के पूजन के बाद इसे अखाड़े में श्रीमहंत के पंडाल में रखा जाएगा। 6 मार्च को इसे अखाड़े की धर्मध्वजा के साथ प्रज्वलित किया जाएगा। इसके बाद अगरबत्ती 45 दिनों तक पूरे सिंहस्थ क्षेत्र को पंच द्रव्यों से सुगंधित करेगी।


हठयोगी की प्रेरणा से बनी अगरबत्ती

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गोरक्षा का संकल्प के साथ सरकार इसे राष्ट्र पशु घोषित करें, गो माता की हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाए इस हठ को लेकर आवाहन अखाड़े की श्रीमहंत भोलागिरि बापू ने 46 साल पहले उध्र्व बाहु (एक हाथ ऊंचा रखने) की हठ तपस्या गुजरात के वडोदरा शहर के पास करजण गांव में बने शिववाडी आश्रम में शुरू की थी। हठयोगी बापू ने अपना एक हाथ ऊंचा रख यह संकल्प लिया कि जब तक सरकार इसकी रक्षा करना शुरू नहीं कर देती है तब तक वे अपना एक हाथ ऊंचा ही रखेंगे। आज 46 साल से बापू का एक हाथ ऊंचा ही है। बापू की इसी प्रेरणा से उनके भक्तऔर गुजरात में गो रक्षा पर काम कर रहे विया भाई ने इसे तैयार किया है। महंत महाकाल गिरि ने बताया कि सिंहस्थ महापर्व के समय भी अवंतिका नगरी में गोमाता बचेगी तो पृथ्वी बचेगी का संदेश देकर बापू कामधेनु महायज्ञ करेंगे। तीन दिवसीय इस यज्ञ में हजारों भक्तविश्व शांति और गो माता की रक्षा का संकल्प लेंगे।




पांच हजार किलो पंच द्रव्यों से बनी है अगरबत्ती
गुजरात के वडोदरा शहर के गौ रक्षा प्रमुख विया भाई भरवाड ने पांच हजार किलो पंच द्रव्यों से 121 फीट लंबी और 3.50 फीट चौड़ी अगरबत्ती को छह महीने में तैयार किया है। अखाड़े के महंत महाकालगिरि ने पत्रिका से फोन पर चर्चा में बताया कि अगरबत्ती में गाय का गोबर, मूत्र, गूगल धूप, चंदन, गंगा जल, हवन सामग्री में उपयोग की जाने वाली सारी वस्तुएं और हिमालय से लाई गई विशेष प्रकार की 27 प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिलाकर पांच लाख रुपए की लागत से तैयार किया है। अगरबत्ती की खासियत यह भी है कि इसे विया भाई ने अकेले ही तैयार किया है और गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए इसका चयन भी कर लिया गया है।

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