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सिंहस्थ में शिवानी देंगी आघोर शिक्षा के साथ तंत्र दीक्षा

अघोर नाम का भ्रम किया जाएगा दूर - अघोर के नाम से फैले भ्रम को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध कर बताया जाएगा। वेद में कहां-कहां अघोर का उल्लेख है इसे छोटी-छोटी डाक्यूमेंट्री और क्रियाओं से समझाया जाएगा। इन क्रियाओं के माध्यम से सभी बातों को सिद्धकर लोगों में सही संदेश देने का एक प्रयास होगा। इसके साथ ही सूर्य चक्र जाग्रति, सप्त चक्र जाग्रति, सहस्त्र चक्र के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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simhastha simhastha

Feb 19, 2016

उज्जैन. तंत्र-मंत्र और अघोरी का नाम आते ही कई वहम भी दिमाग में आ जाते हैं। मंत्र के साथ तंत्र का उपयोग कर साधना करने की परिभाषा बदल चुकी है। खासकर महिलाओं के मन में उक्त बातों को लेकर कई सारे प्रश्न हैं। तंत्र-मंत्र, साधना और अघोरी को सिर्फ जादू-टोना, टोटका करने वाले तांत्रिक के रूप में समझा जाता है। इसी नजरिए और सोच को बदलने के लिए सिंहस्थ महापर्व में कैलिफोर्निया से विक्का और वुदू में पीएचडी कर आईं साध्वी शिवानी दुर्गा अब मंत्र और तंत्र की शिक्षा देंगी। अघोरी क्या होता है? कौन होता है सहित कई बातें इनके शिविर में स्पष्ट हो जाएंगी।
दुर्गा ने पत्रिका से विशेष चर्चा में बताया तंत्र के नाम से ही लोगों में भय पैदा हो जाता है। इसे दूर करने के लिए मंत्र देकर तंत्र का अर्थ बताया जाएगा। दुर्गा बताती हैं तंत्र शिव और शक्ति का एकत्र रूप है। मंत्र का उपयोग कर तंत्र की साधना से शरीर में पांच इंद्रियों को कंट्रोल किया जा सकता है। शरीर वह यंत्र है जो साधक के लिए साधन का कार्य करता है। इसकी शिक्षा और दीक्षा शिविर में एक महीने तक दी जाएगी। दुर्गा ने बताया शरीर के अंदर जो नकारात्मक ऊर्जा होती है उसे मंत्र का जाप कर यंत्र को माध्यम बनाकर तंत्र के साथ साधना करने से निकाला जा सकता है। यही सब शिविर में आ रहे देश-विदेश के हजारों भक्तों को सिखाया जाएगा।


विक्का और वुदू की शक्ति का करवाया जाएगा अनुभव

सिंहस्थ में आ रहे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को विक्का और वुदू का महत्व बताया जाएगा। दुर्गा ने बताया कि विक्का प्रकृति का रूप है। जिस प्रकार पंच तत्व से मानव का शरीर बना है उसी पंच तत्व की पूजा किस प्रकार की जाना चाहिए यह शिविर में बताया जाएगा। मानव का संबंध पृथ्वी, आकाश, जल, वायु से होता है और मानव के अंदर इन चारों का वास हमेशा होता है। इनकी शक्ति का अनुभव विक्का के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई जाएगी। लोगों में यह संदेश दिया जाएगा कि हम वर्ष 11 महीने 14 दिन ईश्वर की पूजा करते हैं और उन्हीं से अपनी परेशानी दूर करने की दुआ मांगते हैं। वहीं श्राद्ध पक्ष के समय पूर्वजों का तर्पण, पिंड दान कर अपनी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए 16 दिन पूजन किया जाता है। दूसरी ओर साउथ-अफ्रीका में वहां के लोग पूर्वजों को ही अपना ईश्वर मानते हैं। 12 महीने वे अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं और उन्हीं से परेशानी दूर करने की दुआ करते हैं। भारत में भी हर मानव वुदू की प्रक्रिया घर में करके अपने पूर्वजों को हमेशा अपने पास रख उन्हें अपनी परेशानी बता सकता है। वुदू के माध्यम से परेशानी से मुक्ति पाई जा सकती है।


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