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साइबर क्राइम: प्रदेश में चार माह में 215 करोड़ की ठगी, वापस मिले मात्र 16 लाख

गत वर्ष 12 माह की ठगी के आंकड़े के मुकाबले यह 60 प्रतिशत थानों में दर्ज होते हैं मात्र चार प्रतिशत मामले

ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर.साइबर ठगी के मामले में राजस्थान गम्भीर स्थिति में है। यहां चार माह में साइबर ठगों ने प्रदेश के लोगों से 214 करोड़ 97 लाख रुपए ठगे हैं। यह रकम तीस हजार से अधिक लोगों से ठगी गई है। पीडि़तों की मदद या सुनवाई की स्थिति यह है कि तत्काल सूचना करने पर केन्द्र सरकार ने करीब 28 करोड़ रुपए ठगों के बैंक खाते में जमा होने से पहले होल्ड कराए गए हैं। हालांकि ठगी की रकम में से मात्र 54 मामलों में 16 लाख रुपए ही सम्बंधित परिवादियों को मिल पाए हैं।
गुणात्मक रूप से बढ़ रही ठगी, चार माह में ही 60 प्रतिशत आंकड़ा पार
ठगी की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्टिंग के लिए भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (आईफोरसी) स्थापित किया है। इसी के तहत देश भर के लिए भारत सरकार 1930 पोर्टल शुरू किया है। इसपर लगातार आ रही शिकायतों में सबसे आगे राजस्थान ही है। देश में जहां चार माह में ठगी की रकम 1750 करोड़ रुपए है, वहीं राजस्थान में यह करीब 215 करोड़ है। गम्भीर स्थिति यह है कि अभी सरकार ठगों की इस फौज से लडऩे के प्रति गम्भीर नजर नहीं आ रही है। यही कारण है कि ठगी की वारदात और उसमें ‘लूटी’ जाने वाली रकम गुणात्मक रूप से बढ़ रही है। वहीं, वर्ष 2023 में 83 हजार लोगों से करीब 354 करोड़़ रुपए ठगे गए थे। गत वर्ष हुई ठगी के मुकाबले इस वर्ष चार माह में ही साठ प्रतिशत का आंकड़ा पार हो चुका है। जबकि वर्ष 2022 में 55 हजार लोगों ने 157 करोड़ 36 लाख रुपए की ठगी की सूचना दी थी।

पुलिस सिमकार्ड और मोबाइल ब्लॉक कराने तक सीमित

ठगों की सक्रियता प्रदेश में इतनी बढ़ गई है कि ठगी के लिए कुख्यात जामताड़ा के बाद भरतपुर व अलवर इलाके का जिक्र होने लगा है। धरपकड़ अभियान के बाद भी ठगी की वारदात में कमी नहीं देखी जा रही है। पुलिस के प्रयास मात्र मोबाइल हैंडसेट व सिम ब्लॉक कराने तक सीमित हैं। चार माह में प्रदेश पुलिस ने 12 हजार से अधिक सिम व करीब इतने ही मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक करवाए हैं।

पोर्टल पर शिकायतों का पहाड़, थानों में चार प्रतिशत ही मामले

आईफोरसी के पोर्टल पर जहां शिकायतों का अंबार लगा हुआ है, वहीं थानों में नाम मात्र के मामले दर्ज होते हैं। स्थिति यह है पोर्टल के मुकाबले चार प्रतिशत ही मामलों में एफआईआर दर्ज हो रही है। वर्ष 2024 के चार माह में करीब तीस हजार लोगों ने पोर्टल पर ठगी की सूचना दी। जबकि इस दौरान थानों मात्र 1256 मामले दर्ज हुए हैं। इसी तरह वर्ष 2023 में 83 हजार ठगी के मामलों के मुकाबले एफआईआर 3752 ही दर्ज हुई।