फैंस के लिए राजनीति में आना चाहते हैं – रजनीकांत
सिनेमा के भगवान रजनीकांत राजनीति में आएंगे या नहीं। ये सवाल अक्सर किए जाते रहे हैं। जयललिता की मृत्यु के बाद रजनी अन्ना के फैंस उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। रजनीकांत भी अपने फैंस से राजनीति में आने का भरोसा जता चुके हैं। 1996 में जब रजनीकांत ने जयललिता का विरोध करते हुए लोगों से उनके लिए वोट न करने की अपील की थी, तब तमिलनाडु की राजनीति पर इसका असर साफ तौर पर दिखा। इस चुनाव में अम्मा हार गई थीं। रजनीकांत मोदी के फैन हैं और उनके काम की तारीफ अक्सर करते हैं। बीजेपी ने उन्हें पार्टी में आने का न्यौता पहले ही दे दिया है।
जनता का विश्वास था एमजी रामचंद्रन के साथ
एमजीआर के नाम मशहूर एमजी रामचंद्रन साउथ इंडियन फिल्मों के सुपरस्टार और हिट डायरेक्टर थे। वे तमिलनाडु के कल्चर आइकन थे। वे अपनी इच्छा से राजनीति में आए और अन्नाद्रमुक पार्टी बनाई। 1977 से 1987 तक एमजीआर राजनीति से जुड़े रहे। अपने राजनीतिक कॅरियर में उन्होंने सत्ता के गलियारों में खास जगह बनाई और जनता का विश्वास जीता।
तीन बार मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए एन.टी. रामा राव
अभिनेता, फिल्ममेकर, डायरेक्टर, एडिटर एन.टी. रामा राव आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री थे। 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार इस पद के लिए चुने जा चुके थे। 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की। जब एन.टी. रामा राव ने राजनैतिक पारी की शुरूआत की उस समय वह एक लोकप्रिय अभिनेता थे। 1983 में सर्वसम्मति से एन.टी. रामा राव को तेलुगु देशम विधायक दल का नेता चयनित किया गया, जिसमें दस कैबिनेट मंत्री और पांच राज्य मंत्री थे।
सफल कॅरियर छोड़ राजनीति में उतरीं जयाराम जयललिता
तमिलनाडू की दिवंगत मुख्यमंत्री जयाराम जयललिता एक सफल अदाकारा थीं। उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर में 150 के करीब फिल्में की थीं। 1961-1980 तक फिल्मी पारी खेलने के बाद जयललिता ने राजनीति में आने का मन बनाया। 1982 में उन्होंने एमजी रामचंद्रन की पार्टी अन्ना द्रमुक जॉइन की। 1991 में पहली बार वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं।
पांच बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं करुणानिधि
करुणानिधि एक नाटककार और पटकथाकार हैं। पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके करुणानिधि ने जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया था। हिंदी विरोधी विरोध प्रदर्शन में उनकी भागीदारी, तमिल राजनीति में अपनी जड़ मजबूत करने में करूणानिधि के लिए मददगार साबित होने वाला पहला प्रमुख कदम था। वे तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (डीएमके) के प्रमुख हैं। उनके समर्थक उन्हें कलाईनार कला का विद्वान कहकर बुलाते हैं।
राजनीतिक कॅरियर अच्छा रहा पवन कल्याण का
पवन कल्याण असल में एक्टर चिंरजीवी के बड़े भाई हैं। उनको लोग प्यार से कोनीडीला कल्याण बाबू बुलाते हैं। एक्टर के साथ-साथ वे डायरेक्टर और राइटर भी थे। 2013 में इनका नाम फोब्र्स के टॉप 100 सेलिब्रेटीज की लिस्ट में शामिल हुआ था। पवन कल्याण ने 2014 में जन सेना पार्टी बनाई।
पॉलिटिकल पार्टी प्रजा राज्यम बनाई थी चिरंजीवी ने
साउथ और हिंदी फिल्मों में काम कर चुके चिरंजीवी 2007 से फिल्मों में सक्रिय नहीं हैं। इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर पर ध्यान दिया। छोटी-मोटी फिल्में ही कीं। 2008 में उन्होंने अपनी पॉलिटिकल पार्टी प्रजा राज्यम बनाई। इस समय वे आंध्रप्रदेश से राज्य सभा में सासंद हैं।
राजनीति में सफल नहीं हो पाईं राम्या
कन्नड़ फिल्म की जानी-मानी अदाकारा राम्या की मां कांग्रेस पार्टी की नेता थीं। मां से प्रभावित होकर राम्या ने भी कांग्रेस जॉइन की। इनका असली नाम दिव्या है। उन्होंने 2013 में राजनीति में किस्मत आजमाई थी। उपचुनाव तो वे जीत गईं, लेकिन 2014 के आम चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाईं। सफल न होने के बाद राजनीति से उन्होंने फिर दूरी बना ली।
2011 से 2016 तक विपक्षी पार्टी के नेता थे विजयकांथ
अभिनेता विजयकांथ ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत बड़े धमाके के साथ की थी। 2005 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतरे। वे तमिलनाडु विधान सभा में 2011 से 2016 तक विपक्षी पार्टी के नेता रहे। 2016 चुनाव में उन्होंने रजनीकांत के खिलाफ बयान दे दिया था। इसके बाद पूरे राज्य में उनका विरोध हुआ।