सोशल साइकोलॉजी में यूटी पीएचडी के छात्र और परीक्षण में शामिल शोधकर्ता निकोलस कोल्स ने कहा कि अगर हम मुस्कुराते हैं तो हमें इससे खुशी मिलती है। वहीं अगर हमारे चेहरे के भाव गंभीर हैं तो हम खुद को भीतर से भी ऐसे ही मूड में महसूस करते हैं। लेकिन मनोवैज्ञानिकों में इस विचार को लेकर बीते कारीब 100 सालों से मतभेद थे। 2016 में इसे साबित करने के लिए विभिन्न देशों के 17 वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह जानने का प्रयास किया था लेकिन प्रयोग विफल रहा जिससे इस थ्योरी पर वैज्ञानिकों में असहमति और बढ़ गई। शोधकर्ता कोल्स का कहना है कि कुछ अध्ययनों से इस बात के प्रमाण नहीं मिले कि चेहरे के भाव हमारी आंतरिक भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक 1970 के दशक से इस पर परीक्षण कर रहे हैं।
आंशिक रूप से करती है प्रभावित
मेटा-एनालिसिस नामक एक सांख्यिकीय तकनीक का उपयोग कर कोल्स और उनकी टीम ने 138 पूर्व अध्ययनों के आंकड़ों को दुनिया भर के 11,000 से अधिक प्रतिभागियों के परीक्षणों से जोड़कर विश्लेषण किया। मेटा-विश्लेषण के परिणामों के अनुसार, चेहरे के भाव हमारी आंतरिक भावनाओं पर आंशिक रूप से प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, मुस्कुराहट लोगों को खुशी का एहसास कराती है। ऐसे ही त्यौरियां चढ़ाने पर हमें गुस्से का अहसास होता है। कोल्स का कहना है कि हम अब भी यही मानते हैं कि ऐसा संभव नहीं है। लेकिन नए परीक्षण के नतीजे काफी रोचक हैं। वे यह संकेत देते हैं कि हमारा मन और शरीर भावनाओं के हमारे अनुभव को प्रदर्शित करने के लिए कैसे खुद को सक्रिय करता है। हमें अब भी इस संबंध में बहुत कुछ जानना बाकी है लेकिन मेटा-एनालिसिस से यह समझने के लिए कि भावनाएं कैसे काम करती हैं, हम काफी करीब आ गए हैं।
मुस्कुराहट से सेहत
वहीं कुछ वैज्ञानिक ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि मुस्कुराहट हमारे दिमाग को चकता देकर खुश होने का अहसास करवा सकती है। इससे न केवल हम प्रसन्न नजर आते हैं बल्कि हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मुस्कान हमारे मस्तिष्क में एक शक्तिशाली रासायनिक प्रतिक्रिया को जन्म देती है जो हमें खुशी का अनुभव कराती है। यहां तक कि अगर हम झूठे ही मुस्कुराएं तो भी यह हमारा तनाव कम करने में सक्षम हो सकती है। साथ ही हृदय गति को भी सामान्य करती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि केवल मुस्कुराने की एक्टिंग करने से ही हमारी मनोदशा में बदलाव आने लगता है। तनाव कम कर यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है जिससे संभवत: हम दीर्घायु हो सकते हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ईशा गुप्ता का कहना है कि मुस्कुराहट मस्तिष्क में एक रासायनिक प्रतिक्रिया पैदा करती है जिससे डोपामाइन और सेरोटोनिन सहित कुछ अन्य हार्मोन निकलते हैं। डोपामाइन हमारे खुशी के स्तर को बढ़ाता है जबकि सेरोटोनिन का संबंध तनाव को कम करने से है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि सेरोटोनिन का निम्न स्तर अवसाद और आक्रामकता को बढ़ाता है। इसी तरह डोपामाइन के निम्न स्तर से अवसाद जुड़ा होता है।
झूठी मुस्कान भी काम की
दरअसल, मुस्कुराहट हमारे मस्तिष्क को यह विश्वास दिला सकती है कि आप खुश हैं जो हमारे अंदर खुशी की वास्तविक भावनाओं को प्रेरित करता है। लॉस एंजिल्स में ईएनटी-ओटोलरींगोलॉजिस्ट डॉ. मुर्रे ग्रोनन, साइकोएनेरोइम्यूनोलॉजी (मस्तिष्क कैसे प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा है का अध्ययन) की विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि सिर्फ मुस्कुराने की शारीरिक क्रिया हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में अंतर ला सकती है। जब आप मुस्कुराते हैं तो मस्तिष्क मांसपेशियों की गतिविधि को देखता है और मानता है कि हम वास्तव में हंस या मुस्कुरा रहे हैं। यानि दिमाग को इस बात से मतलब नहीं है कि क्या आप वास्तव में यश मुस्कुरा रहे हैं या सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। यानि एक झूठी मुस्कुराहट से भी आप तनाव कम कर सकते हैं। वेल्स में कार्डिफ विश्वविद्यालय के एक समूह पर किए गए अध्ययन में सामने आया कि जो लोग तनाव के वक्त मुस्कुराते हैं वे अपनी समस्या का बेहतर समाधान कर सकते हैं।
नियमित अभ्यास से मिलते हैं फायदे
मुस्कान हमारे सोचने और महसूस करने के तरीके को बिल्कुल बदल देती है। फ्लोरिडा स्थित सक्सेस कोच और मेडिटेशन गुरु जैम फेफर का कहना है कि वे और उनके पति रोज सुबह जानबूझकर 60 सेकंड बिना बात के मुस्कुराते हैं ताकि वे खुद को सुपरचार्ज कर सकें। यह हमारी सुबह की दिनचर्या का हिस्सा है। यदि दिन में कोई ऐसी घटना हो जाए जो हमें दुखी कर दे तो भी हम अपने मूड को हैल्दी बनाने और जल्दी से बदलने के लिए मुस्कुराहट का उपयोग करते हैं। रोज अभ्यास करने से अब हमें 15 से 20 सेकंड में रिजल्ट मिल जाते हैं। यह तरीका मुझे कम तनाव महसूस करने में मदद करता है और मेरे मूड को भी तुरंत ठीक कर देता है। इससे मैं अपने बाकी साथियों की तुलना में अपने आसपास की चीजों को एक अलग परिप्रेक्ष्य में देख पाती हूं। जैम अपने सभी कस्टमर्स को मुस्कुराने की सलाह देती हैं, खासकर जब वे किसी अवसाद या तनाव से गुजर रहे हों। मुस्कुराहट उन्हें अधिक सक्रिय रहने और बर्नआउट से बचने में मदद करती है। मुस्कान संक्रमित होती है जो बहुत तेजी से फैलती है। तो अगली बार जब कभी आप किसी के साथ बहस कर रहे हों तो +बस जरा सा मुस्कुरा दें माहौल आपके फेवर में हो जाएगा।