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श्री गंगानगर

11 हॉस्पिटल संचालकों को दिए नोटिस

आवासीय क्षेत्र में नर्सिंग होम्स संचालित करने वालों के खिलाफ जागी नगर परिषद

श्री गंगानगरFeb 06, 2018 / 10:00 am

pawan uppal

Government hospital
श्रीगंगानगर. पिछले लंबे समय से जवाहरनगर आवासीय क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों के रूप में नर्सिंग होम्स संचालित करने के मामले में अब नगर परिषद फिर सक्रिय हो गई है। परिषद आयुक्त की ओर से सुखाडिय़ा मार्ग, मीरा मार्ग और गगन पथ संचालित 11 प्राइवेट नर्सिग होम्स संचालकों को नोटिस थमाए हैं। आवासीय से व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने के लिए अभी तक इन नर्सिग होम्स ने शुल्क तक जमा नहीं कराया है। नोटिस की तामील सोमवार को हुई तो नर्सिग होम्स संचालकों में खलबली मच गई। एक नर्सिग होम संचालक तो नोटिस लेकर नगर परिषद में पहुंचकर अपनी सफाई देने लगा। आयुक्त के बाहर होने के कारण उसकी सुनवाई नहीं हो पाई।
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इधर, परिषद प्रशासन की मानें तो वर्ष 1990 से लेकर अब तक जवाहरनगर समेत कई ऐसे आवासीय क्षेत्रों में प्राइवेट नर्सिंग होम्स बन चुके हैं, लेकिन इनके संचालकों ने अभी तक भू उपयोग परिवर्तन नहीं कराया है। इस संबंध में पहले भी परिषद की ओर से नोटिस जारी किए गए, लेकिन हर बार राजनीतिक एप्रोच के कारण नर्सिंग होम्स सीज करने की प्रक्रिया टलती रही है।

तीन साल बाद शिकायत पर एक्शन
तीन साल पहले पार्षद संजय बिश्नोई ने सुखाडिय़ानगर, सुखाडिय़ा मार्ग, जवाहरनगर, गगन पथ आदि स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल के खिलाफ भू उपयोग परिवर्तन कराए बिना वहां कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित करने की शिकायत की गई थी। इस शिकायत पर लोकायुक्त ने नगर परिषद प्रशासन से अब तक प्रगति बारे जानकारी मांगी, लेकिन वहां जवाब नहीं मिला तो लोकायुक्त ने कलक्टर के माध्यम से यह रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में परिषद प्रशासन ने शहर के नर्सिंग होम्स से जुड़ी सभी फाइलों को खंगालना शुरू किया है।

50 से अधिक नर्सिंग होम्स सीज के दायरे में
नगर परिषद के टाउन प्लानर दीपक कुमार ने बताया कि शहर में पचास से अधिक प्राइवेट नर्सिंग होम हैं। इनमें अधिकांश आवासीय क्षेत्र में संचालित हैं। नर्सिंग होम निर्माण के दौरान आवासीय भवन बनाने की अनुमति नगर परिषद से ली गई, जबकि वहां व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। ऐसे में भू उपयोग परिवर्तन कराए कॉमर्शियल बिल्डिंग इस्तेमाल करना नियम कायदों के खिलाफ है। परिषद ने ऐसे नर्सिंग होम्स सीज करने के लिए प्रत्येक फाइल की जांच कराई है। अब तक जिन हॉस्पिटल की फाइलें आई हैं, उनमें भू उपयोग परिवर्तन की अनुमति तक नहीं ली गई है। भू उपयोग परिवर्तन के संबंध में शुल्क तक जमा नहीं कराया गया है। ऐसे हॉस्पिटल सीज करने के लिए नोटिस दिया जाता है, इसमें संबंधित भवन संचालक अपना पक्ष रख सकता है।

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