हनुमानगढ़ बार संघ सभागार में बार संघ अध्यक्ष मनेषसिंह तंवर की अध्यक्षता में गोष्ठी हुई। इसमें अधिवक्ताओं ने महाअभियान की अच्छाइयों, चुनौतियों व इसमें सुधार के सुझाव दिए। अधिवक्ताओं ने कहा कि दलीय खांचों को तोडऩा होगा। गलत को सार्वजनिक रूप से गलत और सही को खुले मंच पर सही कहकर उसकी तारीफ करनी होगी। जनता जाति-धर्म की भावना में ना बहे। इससे ऊपर उठकर राजनीतिज्ञों की योग्यता व चरित्र जांचे। यदि किसी को चुनाव का पर्चा दाखिल करने पर गोली मार दी जाती है तो यह खतरे की घंटी है। इसके खिलाफ मुखर होना होगा। राजनीतिक दलों से हार के डर से कोई योग्य प्रत्याशी चुनाव लडऩे से नहीं रुके। अधिवक्ताओं ने कहा कि राजनीति की दशा व दिशा तय करने में हमेशा से वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मगर अब पहले जैसी स्थिति नहीं रही। यह स्वयं अधिवक्ताओं के लिए विचारणीय मुद्दा है।
विधायक व सांसद के चुनाव के लिए शिक्षित होने को अनिवार्य बनाने, अपराधियों के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने आदि के सुझाव भी अधिवक्ताओं ने दिए। गोष्ठी में मनेषङ्क्षसह तंवर, शंकर सोनी, हेमलता जोशी, बार संघ उपाध्यक्ष रामकुमार सहारण, सचिव विमल बिश्नोई, अमित गोदारा, गणेश गिल्होत्रा, कोषाध्यक्ष कमलेश भादू, मनोहर शर्मा, रमेश मोदी, हनीश ग्रोवर, दुर्गादेवी शर्मा, सम्पत गुप्ता, विनोद सिंवर आदि ने विचार व्यक्त किए। गोष्ठी में नितिन छाबड़ा, विजय शर्मा, मुशे खां आदि मौजूद रहे। अधिवक्ताओं ने जाति-धर्म की भावना से ऊपर उठकर राजनीति करने वालों को सहयोग करने व लोकतंत्र को मजबूत बनाने में भागीदारी निभाने का संकल्प लिया। पत्रिका ब्यूरो चीफ मनोज गोयल व उप संपादक अदरीस खान ने अभियान की महता व पत्रिका के सामाजिक सरोकारों पर प्रकाश डाला।