लेकिन इसकी हालत को देख कर तो यही लगता है कि उस बजट का सदुपयोग हुआ ही नहीं। केन्द्र सरकार की नई नीति के तहत पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केन्द्र गत वर्ष 26 फरवरी को यहां खुला था। इससे पहले जिले के लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए सीकर जाना पड़ता था।
यहां पासपोर्ट केन्द्र खुलने का फायदा यह हुआ कि लोगों को इस कार्य के लिए लंबी दूरी तय कर सीकर जाने से मुक्ति मिल गई। इससे समय और धन दोनों की बचत हुई है। लेकिन स्थानीय पासपोर्ट केन्द्र में आने वालों के लिए बैठने की सुविधा नहीं होने से उन्हें खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
केन्द्र से बढ़ा काम
पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केन्द्र खुलने के बाद यहां पासपोर्ट बनवाने का काम बढ़ा है। जब पासपोर्ट बनाने का काम जयपुर और सीकर में होता था तब इस जिले के औसतन 55 पासपोर्ट रोजाना बनाते थे।
केन्द्र सरकार की नई नीति के तहत जिला मुख्यालय पर यह सुविधा शुरू होने के बाद रोजाना औसतन 75 पासपोर्ट बनने लगे हैं। इतने काम के लिए मात्र दो कर्मचारी यहां पर नियुक्त किए हुए हैं। एक के छुट्टी जाने पर दूसरे को ही सारा काम निपटाना पड़ता है जिससेअधिक समय लगता है।
बजट से यह हुआ
पासपोर्ट सेवा केन्द्र में आगंतुकों के लिए सुविधाओं के विस्तार के लिए गत वर्ष 3.25 लाख रुपए का बजट आवंटित हुआ था। यह बजट मिलने के बाद इस केन्द्र के एकमात्र कक्ष के आगे छोटे से शेड का निर्माण करवाने के अलावा प्लास्टिक की सात कुर्सियां रखी गई हैं जबकि इस केन्द्र पर रोजाना 75 पासपोर्ट बनते हैं।
इसके अलावा सुविधा के नाम पर पुरुष और महिला शौचालयों का निर्माण किया गया है, जिनका उपयोग मुख्य डाकघर के कर्मचारी भी करते हैं। इनमें महिला शौचालय तो बस नाम का है।