इस हादसे पर राजनीतिक भी गमाई तो नगर परिषद प्रशासन ने आनन फानन में इस नौकायान स्थल से पानी निकासी करवाई। वहीं जिला प्रशासन ने सहायता कोष से मृतकों के दोनों परिवारों को चार चार लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की भी घोषणा की गई थी। इससे नगर परिषद प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है।
यहां भी फव्वारा स्थल बने मच्छरों की शरणस्थली
डेढ़ माह के लंबे अंतराल के बावजूद शहर के कई पार्को में बरसाती पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। इसमें इंदिरा वाटिका के अलावा अग्रसेननगर में होल्कर वाटिका, आदर्शनगर पार्क में फव्वारा स्थल में एकत्र पानी पर मच्छरों का लार्वा भी बनने लगा है। यही हाल विनोबा बस्ती में िस्थत विनोबा बस्ती पार्क का है। यहां भी फव्वारा स्थल में एकत्र पानी भरा हुआ है। वहीं केन्द्रीय बस स्टैण्ड के पीछे नेहरू पार्क में बड़ा फव्वारा स्थल पानी से लबालब हो रखा है। यहां कई बच्चे स्वीमिंग पूल मानकर नहाते भी है, इस पानी की निकासी का बंदोबस्त अब तक नहीं हो पाया है।
इंदिरा वाटिका में दो बच्चों की डूबने की मौत की घटना के बाद तब नगर परिषद प्रशासन ने सुरक्षा गार्ड लगा दी थी।
तत्कालीन आयुक्त मनोज मीणा के आदेश पर शहर के चुनिंदा पार्को और गड्ढा क्षेत्र की चौबीस घंटे निगरानी के लिए नागरिक सुरक्षा के पन्द्रह स्वयं सेवकों को तैनात किया गया था। इस आदेश पर इंदिरा वाटिका के अलावा गुरुनानक बस्ती मोटर स्थल, गुरुनानक बस्ती गडढा क्षेत्र, पुरानी आबादी वाल्मीकि मंदिर के पास पानी निकासी के लिए मोटर स्थल, ईदगाह कब्रिस्तान खडढा, नेहरू पार्क, सुखाड़िया सर्किल और रामलीला मैदान, पुरानी आबादी शीतला माता मंदिर खडढा क्षेत्र की निगरानी के लिए पन्द्रह सुरक्षा कर्मियों को लगाया, प्रत्येक सुरक्षा गार्ड को 18 हजार रुपए का मानदेय तय किया। एक महीना पूरा होते ही इन गार्ड को हटा दिया। इन सुरक्षा कर्मियों को एक माह का मानदेय देने के लिए नागरिक सुरक्षा की ओर से नगर परिषद के पास 2 लाख 70 हजार रुपए का बिल भिजवाया गया है।