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श्री गंगानगर

पदमपुर हादसा मांग रहा इन सवालों के जवाब, आखिर कौन है असली जिम्मेदार?

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श्री गंगानगरJul 31, 2018 / 04:53 pm

dinesh

padampur
श्रीगंगानगर। टोचन प्रतियोगिता जोर आजमाइश का ऐसा खेल जिसमें जान को भी दांव पर लगाना पड़ता है। रोमांच व खतरों से भरे इस अजीब खेल के दौरान हुई घटना से श्रीगंगानगर जिले का पदमपपुर कस्बा अचानक से चर्चा में आ गया।

अब बना राजनीती का अखाड़ा
पदमपुर में ट्रैक्टर रेसिंग के दौरान हुए इस भीषण हादसा को लेकर अब राजनीती शुरू है। इस प्रतियोगिता के दौरान मंडी का टिन शेड गिरने से दर्जनों लोगों के घायल होने की सूचना सामने आई थी। वहीं इस घटना के दूसरे दिन विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की। लेकिन अब इस हादसे को लेकर कुछ नई बातें सामने आ रही है।

नहीं ली गई प्रतियोगिता की अनुमति
बता दें कि आयोजकों की ओर से पुलिस या एसडीएम से कोई अनुमति नहीं ली गई। आयोजन का कहना है की मौके पर कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थे। जब वहां भीड़ बढ़ी तो लोगों ने मंडी सचिव को फोन पर इस घटना की सूचना दी। इस दौरान जयपुर गए मंडी सचिव ने थाने में फोन कर जाब्ता भेजने के लिए कहा। वहां थाने से तीन पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे।

पुलिस ने रोका पर नहीं माने लोग
पुलिस ने बताया की लोग मंडी के टिनशेड पर चढऩे लगे तो पुलिसकर्मियों ने रोकने का प्रयास किया लेकिन लोग नहीं माने। इस मामले की सूचना पुलिसकर्मियों ने थाने पर दी और अधिक जाब्ता भेजने के लिए कहा। जिसके बाद थाने से जाब्ता रवाना कर दिया गया लेकिन जब तक पुलिसकर्मी वहां पहुंचते टिनशेड ढह चुकी थी। लेकिन पुलिस ने रोकने का बहुत प्रयास किया। लेकिन पुलिस बल कम होने के कारण लोग पुलिसकर्मियों को धक्का देकर आगे बढ़ते गए और लोगों ने पुलिस की एक नहीं सुनी।

सीएम की ओर से जांच के आदेश
सीएम ने इस मामले की जांच के आदेश भी दिए है, जिसकी जांच एडीएम प्रशासन नखतदान बारहेठ को सौंपी गई है। पुलिस के मुताबिक आयोजनकर्ता आरोपी दिलबाग सिंह आरबी का रहने वाला है और ये आयोजन शोकिया तौर पर किया गया था। दिलबाग सिंह का परिवार विदेश में रहता है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर ने आरोप लगाया है कि दिलबाग सिंह सहित अन्य आयोजक थे, वे भाजपा के कार्यकर्ता हैं।

क्या है टोचन प्रतियोगिता
स्टील, जूट या प्लास्टिक की रस्सी की मदद से एक खराब वाहन को दूसरे वाहन से बांध कर खींचकर ले जाया जाता है, उसे टोचन कहते हैं। वैसे सही शब्द टो-चेन या टोइंग चेन है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। टो यानी खींचना चेन यानी धातु की रस्सी। यह शब्द आदत में इतना आया कि टो-चेन को कब टोचन कहा जाने लगा पता ही नहीं चला। इस प्रक्रिया में खराब व सही दोनों ही गाड़ी एक ही दिशा में चलती हैं लेकिन टोचन प्रतियोगिता का फंडा थोड़ा अलग है। इसका नाम भले ही टोचन है लेकिन इसमें वाहन एक दूसरे को विपरीत दिशा में खींचते हैं और यह केवल ट्रैक्टरों के बीच होती हैं। यह एक तरह से रस्साकशी प्रतियोगिता का ही परिष्कृत रूप से है। ट्रैक्टर के पीछे ट्रॉली के लिए जो हुक होता है, उसमें एक रॉड के माध्यम से दो ट्रैक्टरों को आपस में जोड़ दिया जाता है। इसके बाद दोनों को सेंट्रल प्वाइंट पर खड़ा किया जाता है। इसके बाद दोनों विपरीत दिशा में एक दूसरे को खींचते हैं। यह तरह से चालक की दक्षता की परीक्षा होती है, जो इसमें सफल हो जाता है, बाजी उसी के हाथ लग जाती है।
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