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Video: महिला सरपंच खुद की गांव में अलग पहचान बनाएं

- तीन दिवसीय महिला निर्वाचन जनप्रतिनिधि क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम

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Three-day women's election tribunal capacity promotion training

Three-day women's election tribunal capacity promotion training

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श्रीगंगानगर. राज्य संसाधन केंद्र जोधपुर के निदेशक डॉ.जमील काजमी ने कहा कि महिला सरपंचों को गांव और ग्राम पंचायत में खुद की अलग पहचान बनानी चाहिए। गांव की आधी आबादी महिलाओं की है, और महिला सरपंच महिलाओं, बेटियों की समस्या को ज्यादा बेहतर तरीके से समझती है। इसलिए आप महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा व जागृति के लिए काम कीजिए।

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गांव में चिकित्सा शिविर लगाए, महिलाओं का हीमोग्लोबिन, कैल्शियम व ब्लड ग्रूप की जांच कर सेहत की पूरी जानकारी दी जाए। इसके बाद संबंधित पीएचसी, सीएचसी या जिला मुख्यालय के अस्पताल में सेहत की जांच कर उपचार में मदद की जा सकती है। यह कहना था शुक्रवार को तीन दिवसीय निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण शिविर में है।

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अब पहले वाली बात नहीं

इस मौका पर महिला सरपंच अंजू यादव ने कहा कि गांव के विकास के लिए हर संभव कोशिश करते हैं और खुद ही निणर्य लेकर इसको लागू करते हैं। दो एसआर एम की सरपंच मंजू बाला हो या व दो एमएल की सरपंच दर्शना देवी कहती है कि अब गांव-गुवाड़ में सरपंच ही पहचान बन चुकी है। अब पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की ही चलती है पहले वाली बात अब नहीं है।

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रिकॉर्ड संधारण के बारे में बताया

संर्दभ व्यक्ति पतराम चौधरी, सोहन लाल, पंचायत प्रसार अधिकारी मनोज कुमार, कार्यक्रम अधिकारी मनीष सिंह आदि ने महिलाओं के अधिकारों के बारे में बताया गया तथा कि रिकॉर्ड संधारण किया जाए। सरपंच को हर सर्कुलर का पता होना चाहिए। पंचायत समिति, जिला परिषद और राज्य सरकार से क्या-क्या आदेश-निर्देश आ रहा है। इस मौका पर शिक्षा व कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित फिल्म भी दिखाई गई।

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