यदि किसी मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। इसे नियंत्रित करने के लिए अभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मेडिकल कॉलेज और एम्स में अलग-अलग दवाइयां दी जाती है। जब मरीज एक अस्पताल से दूसरे में इलाज के लिए जाता है तो उसकी दवा बदल जाती हैं। नए तरीके से इलाज शुरू होता है। इससे कई बार मरीजों के लिए दुविधा खड़ी हो जाती है। इसे दूर करने में मदद मिलेगी।
वन स्टेट वन हेल्थ पॉलिसी लागू करने में मप्र को पहला राज्य बनाने का प्रयास है। इसके लिए ब्रेन स्टॉर्मिंग की गई। इसके बिंदुओं पर सरकार को रिपोर्ट दी है।- डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल
क्या होगा पॉलिसी में…
डॉक्टरों को मिलेगा प्रशिक्षण
नई पॉलिसी के लागू होने से पहले एम्स स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों को प्रशिक्षण देगा। इस प्रशिक्षण के बाद यह व्यवस्था काम करने लगेगी।
रेफर के बाद परेशानी नहीं
इस व्यवस्था में मरीजों को जब छोटे अस्पतालों से किसी भी बड़े सेंटर में रेफर किया जाएगा तो इलाज में डॉक्टरों को भी मदद मिलेगी। उन्हें हर बार दवाइयां बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का पूरा इस्तेमाल
स्वास्थ्य विभाग के इन्फ्रास्ट्रक्चर का पूरा इस्तेमाल होगा।
बड़े अस्पतालों का भार होगा कम
मरीजों को छोटे से बड़े अस्पतालों में रेफर करने की भी नई व्यवस्था होगी। मरीज को सर्दी-जुकाम, बुखार या अन्य सामान्य रोगों के इलाज के लिए सीधे बड़े अस्पताल में पहुंचने की बजाय उन्हें उप स्वास्थ्य केंद्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराना पड़ेगा। इससे एम्स भोपाल, हमीदिया और एमवायएच इंदौर जैसे अस्पतालों पर भार कम होगा।
सबसे पहले इन्हें इलाज
ट्रॉमा: ओपन फ्रैक्चर, सिर पर लगी चोट, सड़क हादसे में घायल समेत अन्य हादसों में घायलों को।
इमरजेंसी: हार्ट अटैक, स्ट्रोक, पैरालिसिस समेत अन्य मामलों में।
स्त्री रोग: प्रसव, डिलिवरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, एनीमिया समेत महिला संबंधी रोगों में।
शिशु रोग: स्पेसिस से ग्रसित बच्चा, कुपोषण, समय से पहले जन्मे बच्चे समेत नवजातों से जुड़ी बीमारी।
सर्जरी: अस्पतालों में सर्जरी के दौरान एक तरह की एसओपी का पालन।
मॉर्च्यूरी: पोस्टमार्टम के दौरान भी एक ही तरह की एसओपी का पालन।