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मंदिरों में देते थे आटा, गुड़,घी,पताशा और धान, राज दरबार से होती थी व्यवस्था

आखातीज – बीकानेर रियासत में 178 साल पहले सामग्री देने की थी व्यवस्थाबही आखातीज री में मिलती है जानकारी विमल छंगाणी रियासतकाल से शहर में आखाबीज और आखातीज पर्व धूमधाम से मनाने की परंपरा है। बीकानेर दरबार की ओर से आखातीज पर्व पर न केवल शहर में िस्थत मंदिरों में विभिन्न प्रकार की सामग्री देने […]

बीकानेरMay 09, 2024 / 12:15 am

Vimal

आखातीज – बीकानेर रियासत में 178 साल पहले सामग्री देने की थी व्यवस्थाबही आखातीज री में मिलती है जानकारी

विमल छंगाणी

रियासतकाल से शहर में आखाबीज और आखातीज पर्व धूमधाम से मनाने की परंपरा है। बीकानेर दरबार की ओर से आखातीज पर्व पर न केवल शहर में िस्थत मंदिरों में विभिन्न प्रकार की सामग्री देने की व्यवस्था थी, बल्कि बीकानेर राज परिवार के सदस्यों की छतरियों के लिए सामग्री देने की भी व्यवस्था थी। बीकानेर रियासत की संवत 1903 की बही आखातीज री में आखातीज पर्व पर आटा, घी, धान, गुड, पताशा, इमली देने की जानकारी मिलती है। धान में मूंग और बाजरा दिए जाने का उल्लेख है।
इन मंदिरों में देते थे सामग्री

अभिलेखागार विभाग के निदेशक डॉ. नितिन गोयल के अनुसार वर्ष 1846 की बही आखातीज री में शहर में िस्थत विभिन्न मंदिरों में आखातीज पर आटा, घी, गुड, पताशा, धान देने की जानकारी मिलती है। इनमें मुरली मनोहर मंदिर, बाल मुकुंद मंदिर, माजी गंगाजी मंदिर, नागणेचीजी मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर, महादेव मंदिर, नर नारायण मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, माताजी कोटाषनी, तेतीस कोटी देवता मंदिर, गणेशजी मंदिर, सूरजजी मंदिर, देवीकुण्ड ऊपर देवस्थान, श्रीगोपालजी मंदिर, दादीजी मंदिर, बलदेव मंदिर, बद्रीनारायण मंदिर, माताजी कालकाजी मंदिर, मूलनायक मंदिर, मदन मोहन मंदिर, महादेव मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, नाटेश्वर महादेव, गोपालजी मंदिर, जनेश्वर मंदिर, गोरधन नाथ मंदिर, सदाशिव महादेव,ठाकुरजी मंदिर जसोलाई सहित कई मंदिरों में सामग्री देने की जानकारी बही में मिलती है।
आठ मण धान, नौ सेर घी

बही आखातीज री के अनुसार आखातीज पर राज दरबार की ओर से दी जाने वाली सामग्री में सबसे अधिक सामग्री देशनोक करणी माता मंदिर के लिए दी जाने की जानकारी मिलती है। डॉ. गोयल के अनुसार वर्ष 1846 में इस मंदिर के लिए धान 8 मण, घी 9 सेर, गुड़ 6 सेर, इमली 3 सेर, आटा 2 मण, पताशा आधा सेर दिए जाने की जानकारी बही में उल्लेखित है। वहीं शहर के अन्य मंदिरों में अधिकतर में धान ढाई सेर, घी एक पाव, गुड एक पाव, इमली डेढ पाव दिए जाने की जानकारी मिलती है।
यहां भी देते थे सामग्री

बही आखातीज री के अनुसार बीकानेर रियासत में महाराजा रतन सिंह के शासनकाल में आखातीज पर्व पर बीकानेर रियासत के महाराजाओं, रानियों की छतरियों के लिए भी आटा,घी, धान, गुड, पताशा दिए जाने की जानकारी मिलती है। राव बीकाजी टेकरी में िस्थत राव बीका, राव लूणकरण, राव जैतसी, रामसिंह, भोपाल सिंह, राव सिंह की छतरी के साथ-साथ कल्याण सागर तालाब िस्थत महाराजा कल्याण सिंह, महाराजा रायसिंह, महाराजा सूरसिंह, महाराजा करण सिंह, अरजन सिंह, विचित्र कंवर बाईसा, जसकंवर, महाराजा अनूप सिंह आदि की छतरियों के लिए पुजारियों को सामग्री देने का उल्लेख बही में मिलता है।
राज दरबार की रहती थी सहभागिता

बीकानेर रियासत में आखातीज पर्व मनाने में राज दरबार की सक्रिय सहभागिता रहती थी। अभिलेखागार में मौजूद आखातीज री बही में राज दरबार की ओर से की जाने वाली व्यवस्थाओं और सहायताओं का उल्लेख मिलता है। आखातीज को आमजन के साथ जुड़कर धूमधाम से मनाने में भागीदारी निभाता था।
डॉ. नितिन गोयल, निदेशक, राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर।

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