पुलिस नेटवर्क का उड़ा मखौल
वर्तमान हालात यह हैं कि अधिकांश जगह पर बीट कांस्टेबल, थानाप्रभारी के नाम नंबर या तो अंकित ही नहीं हैं। जहां थे, वहां भी मिट चुके हैं। पुलिस प्रशासन ने दोबारा लिखवाने की जहमत तक नहीं उठाई। जहां लिखे मिल रहे हैं, वहां थाना प्रभारी, अधिकारी, बीट कांस्टेबल के तबादले हो चुके हैं। इनमें कई तो निजी नम्बर अंकित किए हुए हैं, जिन पर फोन करने पर जनता को ऊंट-पटांग जवाब ही मिलता है। ऐसे हालात में किसी तरह की वारदात होने पर पुलिस को सूचना समय पर नहीं मिल पाती। पुलिस के नेटवर्क का मौखल उड़ाता है, सो अलग।
इधर…अपराध व तस्करी जोरों पर
आमजन के पुलिस से सीधे जुड़ाव का यह ढर्रा टूटते ही पुलिस की बीट कांस्टेबल व्यवस्था चरमरा सी गई है। दूसरी ओर, जिले में अपराध व तस्करी जोरों पर है। चोरी, लूट, नकबजनी व राहगीरों से छीना-झपटी की वारदातें लगातार हो रही हैं। आमजन निशाने पर है। डोडा पोस्त , शराब, हथियार तस्करी लगातार हो रही है। हर दिन दुपहिया वाहन चोरी हो रहे हैं।
इनका कहना है…
थाना क्षेत्र में आमजन की सुविधा के लिए यह व्यवस्था की गई थी। अब अधिकारी व कांस्टेबलों के तबादले हो चुके हैं। इससे पुराने ही नंबर अंकित हैं। आपने इस ओर ध्यान दिलाया है। अब नए सिरे से नंबर अंकित करवाए जाएंगे। इस संदर्भ में संबंधित थानाधिकारियों को निर्देशित करेंगे। तेजस्वनी गौतम, पुलिस अधीक्षक