ये भी पढ़ें: ‘अंबाला किसान आंदोलन’ का असर, 180 ट्रेनें प्रभावित, बदले गए रूट हालांकि एनएचएआइ के ही प्रोजेक्ट प्रभारी ने कई जगह काम में देरी को जिम्मेदार ठहराया है। प्रोजेक्ट की देरी से जहां मप्र समेत कई राज्यों के कारोबार फिलहाल एक्सप्रेस-वे से नहीं जुड़ सके, बल्कि बंदरगाहों तक उनके सामान की पहुंच आसान न होने से व्यापारिक गति भी नहीं मिली। इतना ही नहीं, मालवा में बनने वाला लॉजिस्टिक पार्क भी अटक गया।
देश की राजधानी आर्थिक राजधानी से जुड़े
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट से देश की राजधानी दिल्ली को वित्तीय राजधानी मुंबई से जोड़ने की मंशा है। इस प्रोजेक्ट की नींव केंद्रीय केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने रखी। लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। प्रोजेक्ट के तहत धीमी गति व कई अड़चनों के कारण यह अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
इसलिए बना प्रोजेक्ट
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण का उद्देश्य कारोबारी राज्यों को सीधी कनेक्टिविटी देनी है। इससे मप्र, राजस्थान, गुजरात सीधे महाराष्ट्र के बंदरगाह से जुड़ेंगे। एक्सपोर्ट होने वाला सामान बंदरगाहों तक पहुंचता। 10 हजार करोड़ के काम
● 1350 किमी लंबे 8 लेन वाले एक्सप्रेस-वे एक लाख करोड़ से बन रहा। मप्र में करीब 10 हजार करोड़ का काम है। ● एक्सप्रेस-वे को सोहना एलिवेटेड कॉरिडोर, दिल्ली से दौसा, कोटा, रतलाम, वडोदरा, सूरत के रास्ते महाराष्ट्र में नेहरू बंदरगाह से जोड़ा है। ● इस इलाके के कारोबारियों को बंदरगाह से सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी, कम लागत में सामान एक्सपोर्ट करने को यह परियोजना लाई गई।
ये काम अधूरे
● दाहोद में 40 किमी हिस्से में सड़क का काम अधूरा है। ● दिल्ली से वापी के बीच भी परेशानी है। यहां तीन ब्लॉक में काम होना है। एक हिस्से में 20 किलोमीटर की सड़क नहीं बनी है। ● कोटा में 5 किलोमीटर लंबी टनल पूरी नहीं हो पाई है, यहां काफी काम अधूरा है। ● इस देरी का असर रतलाम पर पड़ा है। यहां लॉजिस्टिक पार्क का काम अटक गया।