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जयपुर

सुविधा नहीं, कट रही जेब…टोल कंपनियां रोज कमा रहीं 1.30 करोड़ रुपए

Rajasthan News : टोल वसूली के नाम पर जयपुर से किशनगढ़ के बीच के दो टोल से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) प्रतिदिन एक करोड़ तीस लाख रुपए कमा रही है, लेकिन नियमों के अनुसार जनता को मिलने वाली राहत नहीं दी जा रही।

जयपुरMay 17, 2024 / 08:58 am

Supriya Rani

जयपुर. टोल वसूली के नाम पर जयपुर से किशनगढ़ के बीच के दो टोल से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) प्रतिदिन एक करोड़ तीस लाख रुपए कमा रही है, लेकिन नियमों के अनुसार जनता को मिलने वाली राहत नहीं दी जा रही। एनएचएआई आज भी इस टोल पर 2003 के गजट नोटिफिकेशन के आधार पर ही टोल वसूल रही है, जबकि उसके बाद टोल वसूली के नियमों में बदलाव हो चुके हैं।


एनएचएआई ने यह सड़क बीओटी ( बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर) के आधार पर एक कंपनी को छह लेन बनाने के लिए दी थी। कंपनी ने सड़क बनाई और इसके बाद टोल वसूली शुरू की। 2003 के गजट नोटिफिकेशन के आधार पर टोल वसूली शुरू हुई। इस नोटिफिकेशन में टोल में छूट का कोई प्रावधान नहीं था। इसके बाद 2008 में नई टोल पॉलिसी बनी। इसमें चौबीस घंटें में लौटने पर पचास प्रतिशत छूट देने का नियम आया, लेकिन जयपुर-किशनगढ़ नेशनल हाईवे पर यह नियम लागू नहीं किया गया। वजह बताई गई कि बीओटी प्रोजेक्ट के तहत जो अनुबंध हुआ था। उसमें यह शर्त शामिल नहीं थी। कंपनी का अनुबंध अप्रेल, 2023 में पूरा हो गया और एनएचएआई ने इस नेशनल हाईवे को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया, लेकिन आज भी टोल में छूट के लिए नया गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है।


दो अलग-अलग कंपनियों को दे रखा ठेका


एनएचएआई से जुड़े सूत्रों के अनुसार जयपुर से किशनगढ़ के बीच के दो टोल अलग-अलग कंपनियों को दिए गए हैं। जयपुर से निकलने के बाद बगरू से पहले ठीकरिया स्थित टोल से एनएचएआई प्रतिदिन करीब 80 लाख रुपए और किशनगढ़ से पहले पड़ने वाले टोल से प्रतिदिन 50 लाख रुपए कमा रही है। इसके ऊपर की कमाई टोल वसूलने वाली कंपनियों के खाते में जा रही है। हिसाब लगाया जाए तो एक साल में ही एनएचएआई 450 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुकी है।

मंथली पास वालों को भी नुकसान

इस नेशनल हाईवे पर मंथली पास वालों को भी नुकसान हो रहा है। सूत्रों के अनुसार टोल से बीस किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को जो पास मिलता है, वह बहुत ही कम दरों में बनता है। लेकिन, यह मंथली पास भी नियमों में संशोधन नहीं होने से फायदेमंद साबित नहीं हो रहा। वाहन चालकों को तय दरों से ज्यादा पैसा देकर मंथली पास बनवाना पड़ता है।

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