सहायक लोक अभियोजक मनोज प्रताप सिंह के अनुसार वर्ष 2011-12 में धान उपार्जन केंद्र पटना में 62053.60 क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। अनियमितता की शिकायत पर खाद्य अधिकारी से जांच में कराई गई थी। जिसमें पाया गया कि 60110.96 क्विंटल धान स्टॉक में होना था, लेकिन स्टॉक में निरंक पाया गया।
किसान शिवबालक चंपाझर, हीरालाल, शोभनाथ एवं हीरालाल चेरवा के पट्टे से आरोपी सूर्य प्रताप गुप्ता ने धान बेचा और सहकारी बैंक मैनेजर उमाकांत द्विवेदी ने किसानों को पैसा आहरण भुगतान करने की बजाय आरोपी को दिया था। मामले में 21 लाख 56 हजार 330 रुपए का गबन हुआ था।
जांच में गिरधारी दास समिति प्रबंधक पटना, उमाकांत सहकारी बैंक मैनेजर के खिलाफ अनियमितता पाई गई। खाद्य निरीक्षक राजीव लोचन तिवारी की रिपोर्ट पर आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। मामले में आरोपी गिरधारी दास को गिरफ्तार कर सीजेएम न्यायालय में पेश किया गया।
वहीं आरोपी सूर्य प्रताप गुप्ता एवं उमाकांत ने जिला सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत कराया था। प्रकरण की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय ने आरोपी गिरधारी दास, सूर्यप्रताप एव उमाकांत द्विवेदी को ती-तीन साल सश्रम करावास की सजा सुनाई है। वहीं 3-3 हजार अर्थदंड से दंडित किया गया है।
तत्कालीन समिति प्रबंधक के पास जमा थीं ऋण पुस्तिकाएं
किसान शिवबालक ने धान नहीं बेचा था और ऋण पुस्तिका अपने पास रखा था। हीरालाल ने 10-15 क्विंटल बेचा था, जिससे 15 हजार रुपए नकद भुगतान हुआ और ऋण पुस्तिका पटना समिति में जमा कर दिया था।
वहीं शोभनाथ मुरमा निवासी ने 80-85 क्विंटल धान बेचा और ऋण पुस्तिका समिति प्रबंधक के पास जमा कराया था। हीरासाय ने 18४ क्विंटल धान बेचा था और चेक से भुगतान हुआ था। मामले समिति प्रबंधक व सहकारी बैंक प्रबंधक की मिलीभगत से 21.56 लाख की गड़बड़ी की गई थी।
ये हैं आरोपी
-उमाकांत द्विवेदी (60), तत्कालीन सहकारी बैंक मैनेजर, निवासी ग्राम बासनपारा सरभोका
– सूर्य प्रताप गुप्ता पिता स्व रामगोपाल गुप्ता (44), निवासी ग्राम बस स्टैंड पटना
– गिरधारी दास पिता स्व घोघरा दास(57), तत्कालीन समिति प्रबंधक पटना, निवासी रामानुजनगर सूरजपुर