scriptsuccess story: चित्तौड़ के रामलाल को पांचवे प्रयास में मिली सफलता | Chittor's Ramlal got success in the fifth attempt | Patrika News
कोटा

success story: चित्तौड़ के रामलाल को पांचवे प्रयास में मिली सफलता

राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले में घोसुन्दा निवासी रामलाल भोई ने पांचवे प्रयास में नीट क्रेक की है और परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा है।

कोटाMay 01, 2024 / 06:14 pm

Abhishek Gupta

ramlal

राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले में घोसुन्दा निवासी रामलाल भोई ने पांचवे प्रयास में नीट क्रेक की है और परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा है।

राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले में घोसुन्दा निवासी रामलाल भोई ने पांचवे प्रयास में नीट क्रेक की है और परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा है। नीट का पहला अटैम्प्ट 12वीं कक्षा के साथ ही वर्ष 2019 में दिया था। सेल्फ स्टडी से 350 मार्क्स हासिल किए। दूसरा अटैम्प्ट नीट 2020 में 320 मार्क्स आए। दूसरी बार मार्क्स पहली बार से भी कम आए लेकिन जुनून था कि बनना तो डॉक्टर ही है। फिर नीट 2021 का अटैम्प्ट दिया जिसमें 362 मार्क्स आए। स्कूल के शिक्षकों ने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा में एडमिशन लेने की सलाह दी। क्योंकि उन्हें विश्वास था कि मैं नीट क्रेक कर सकता हूं।
कर्जा लेकर भेजा

पापा की स्थिति नहीं थी कि मुझे कोटा भेज सकें। इसलिए उन्होनें कर्जा लेकर मुझे कोटा भेजा। एलन में आने के बाद मेरी परफॅार्मेन्स में इम्प्रूवमेंट आया और नीट 2022 में 490 मार्क्स आए। मैंने एक बार आखिरी मौका खुद को दिया और नीट 2023 की तैयारी में जुटा। एक बार तो पिता ने कर्जा ले लिया था लेकिन इस बार फीस का जुगाड़ करना असंभव था। मां ने गहने बेचकर पैसों का इंतजाम किया। एलन ने भी मुझे फीस में रियायत दी। कोटा में किराए का कमरा लेकर रहा।
पिता की पिटाई के बाद भी जारी रखी पढ़ाई
कक्षा छह में पढ़ रहे रामलाल के 11 साल की उम्र में हाथ पीले हो गए। बाल विवाह के बाद भी उसने पढ़ना नहीं छोड़ा। समाज की पिछड़ी सोच के चलते पढ़ाई करना भी आसान नहीं था। पिता नहीं चाहते थे कि 10वीं के बाद बेटा पढ़ाई करे लेकिन बेटे की जिद थी कि आगे पढ़ाई करनी है। लोगों के बहकावे में आकर एक बार तो पिता ने रामलाल को पीटा और पढ़ाई नहीं करने की बात कही, लेकिन रामलाल के संकल्प का स्तर अलग ही था। उसने पढ़ाई जारी रखी। दोस्त के पिता ने आकर समझाया तो रामलाल के पिता ने आगे की पढ़ाई में सहयोग किया। जुनूनी बेटे ने खूब मेहनत की और आखिरकार पांचवें प्रयास में नीट क्रेक कर दिखाया। रामलाल राजनीति में जाकर जनसेवा करना चाहता है। नीट यूजी 2023 परीक्षा से छह माह पूर्व ही उसने बेटी को जन्म दिया है।
नीट के बारे में पता नहीं था
आर्थिक स्थिति कमजोर होने से प्राइवेट स्कूल में पढ़ना संभव नहीं था। इसलिए स्कूल की पढ़ाई सरकारी विद्यालय से की है। गांव के ही सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा 74 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। इसके बाद 11वीं में मेरा दोस्त एग्रीकल्चर सब्जेक्ट ले रहा था तो मैं भी उसके साथ उदयपुर चला गया। एग्रीकल्चर विषय में एडमिशन लेने के लिए उदयपुर गया लेकिन वहां जाने के बाद शिक्षकों ने बॉयोलॉजी विषय और नीट परीक्षा के बारे में जानकारी दी। मुझे तब तक नहीं पता था कि नीट जैसा कोई एग्जाम देने के बाद डॉक्टर बनते हैं। फिर मैंने बॉयोलॉजी विषय के साथ 11वीं और 12वीं कक्षा पास की। इस दौरान मैं समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित अम्बेडकर छात्रावास में रहता था, जो कि निशुल्क था।
आर्थिक स्थिति काफी कमजोर
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले के घोसुन्दा में भेड़च नदी किनारे हमारा कच्चा घर बना हुआ है। छत पर केलुवे डले हुए हैं। बिजली कनेक्शन है लेकिन आधे समय बिजली गुल रहती है। गांव के सरकारी नल से पानी भरकर लाते हैं। पिता गणेश भोई दूसरों के खेत जोतते हैं तो मां कमला देवी खेत से मिलने वाले चारे को रोजाना चित्तौड़गढ ले जाकर बेचती है। मम्मी-पापा दोनों का मजदूर कार्ड भी बना हुआ है। कभी-कभार काम आ जाता है तो मजदूरी करने चले जाते हैं। माता-पिता के अलावा हम पांच भाई-बहिन हैं। दो बहिनों की शादी हो चुकी है। मेरी शादी आज की उम्र में होती तो पुरजोर विरोध करता लेकिन, मुझे क्या पता था, क्या हो रहा है ? मुझे तो मजा आ रहा था। लोग नाच रहे थे, मेहमान आ-जा रहे थे, मेरी शादी हो गई, उम्र 11 साल थी और कक्षा 6 में पढ़ता था। मेरी पत्नी भी हम उम्र है। करीब छह साल पहले पत्नी ने ससुराल में आकर रहना शुरू कर दिया। वो खुद 10वीं तक पढ़ी-लिखी है। हमारे समाज में शिक्षा को इतना महत्व नहीं दिया जाता और ऐसे में कोई लड़की 10वीं तक पढ़ ले तो बहुत बड़ी बात मानी जाती है। वो 10वीं के बाद पढ़ना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए उसने खुद का त्याग किया और ससुराल की जिम्मेदारियां संभाली। मैं लगातार नीट की तैयारी में लगा हुआ था और सलेक्शन हो नहीं रहा था। इस वजह से हमारे बीच काफी झगड़े होते थे लेकिन मेरा जुनून देखकर उसने मेरा साथ दिया। नीट यूजी 2023 परीक्षा से छह माह पूर्व ही उसने बेटी को जन्म दिया है।

Home / Kota / success story: चित्तौड़ के रामलाल को पांचवे प्रयास में मिली सफलता

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो