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नागौर

चार साल से ठंडे बस्ते में गाडि़या लुहारों के लिए बनी महाराणा प्रताप आवासीय योजना

Maharana Pratap Housing Scheme

नागौरMay 24, 2024 / 12:49 pm

Ravindra Mishra

nagaur nagaurnews

गाडि़या लुहार परिवार

– जिले में पांच साल से नहीं हुआ सर्वे, चार साल में ना कोई आवेदन आया ना अनुदान दिया

– योजना के प्रचार- प्रसार की कमी या गाडि़या लुहार के पास नहीं पट्टे

रविन्द्र मिश्रा
नागौर. रोजी-रोटी के जुगाड़ में हर दिन अपना नया ठिकाना बदलने वाले गाडि़या लुहार जाति के परिवारों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकार की ओर संचालित महाराणा प्रताप आवासीय योजना का नागौर व डीडवाना -कुचामन जिले में बुरा हस्र है। पिछले चार साल से योजना ठण्डे बस्ते में है। ना तो योजना के तहत कोई अनुदान राशि मांगने आया और ना ही विभाग ने किसी तरह का प्रचार-प्रसार करवाया। आज भी स्थिति यह कि गाडि़या लुहार परिवार के लोग गाडिय़ों के नीचे तम्बू ताने अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में लगे नजर आते हैं। पूरी गृहस्थी एक गाड़ी पर ही लदकर चलती है। स्थाई निवास नहीं होने से बच्चे भी अशिक्षा की जंजीरों में जकड़े हैं। जबकि सरकार इनके लिए कच्चे माल की खरीद व आवास के लिए योजना चला रही है। आवास के लिए अनुदान राशि लेने के लिए गाडिय़ा लुहार परिवार का भूमिहीन होने के साथ ही ग्राम पंचायत या नगरपालिका का नि:शुल्क पट्टा होना जरूरी है। महाराणा प्रताप आवासीय योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गाडिय़ालुहारों को कम से कम 20 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले आवास निर्माण के लिए अनुदान राशि दी जाती है।
नहीं हुआ सर्वे

सूत्रों के अनुसार पिछले पांच साल से जिले में गाडिय़ालुहारों को लाभ देने के लिए किसी तरह का सर्वे भी नहीं हुआ है। दूसरी ओर चार साल से किसी ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन भी नहीं किया। अंतिम बार अनुदान 2020 में नागौर जिले के बूनरावता गांव के एक आवेदक दिया था। उसके बाद से कोई आवेदन नहीं मिला। इसके पीछे जानकारी का अभाव या निशुल्क पट्टे नहीं होना कारण माना जा रहा है।
इन जातियों को मिलता है लाभ

हालांकि सरकार ने घुमंतू/अद्र्धघुमंतू श्रेणी की दस जातियों को बालदीयाज, परदिश, दोमाबारिश, गाडिया लुहार, इरानिश, जोगी, कालबेलिया, जोगी कनफटा, खुरपलरस, सिलकीगर व घीसादिश आदि को भी इस योजना में शामिल किया हुआ है।
मिलती है 1 लाख 20 हजार की राशि

सरकार की ओर से तीन नवंबर 1997 को 5 हजार की सहायता राशि से शुरू हुई इस योजना की राशि आज बढ़कर एक लाख 20 हजार पर पहुंच गई है। सरकार की ओर से 2007 में 25 हजार रुपए दिए जा रहे थे। इसमें दस हजार रुपए की बढ़ोतरी कर 2009 में 35 हजार, 2011 में 45 हजार को 25 हजार बढ़ाकर 70 रुपए अनुदान राशि की गई। वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर एक लाख 20 हजार रुपए कर दिया है। यह राशि आवेदक को तीन किश्तों में मिलती है। पहली मकान बनाते समय नींव से छपरा तक, दूसरी पट्टियां डलने तक और तीसरी किश्त कार्य पूरा होने पर दी जाती है। लेकिन 2020 से 24 के बीच किसी ने भी अनुदान के लिए आवेदन नहीं किया।
2022 में आवेदन हुए निरस्त

विभाग के पास 2022 में दस आवेदन आए थे। इन आवेदनों की सामाजिक सुरक्षा अधिकारी की ओर से जांच करने पर इन्हें पूर्व में अनुदान राशि का भुगतान होने की जानकारी सामने आई। जांच के बाद सभी दस आवेदनों को निरस्त कर दिया गया।
यह है होनी चाहिए पात्रता

महाराणा प्रताप आवासीय योजना के तहत सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग नगर पालिका व ग्राम पंचायत की ओर से निशुल्क दी गई जमीन के पट्टे पर अनुदान देता है। आवेदन पत्र के साथ निशुल्क भूखण्ड आवंटन पट्टा, जाति प्रमाण पत्र तथा राजस्थान व अन्य राज्य में जमीन नहीं होने का शपथ पत्र देना जरूरी है। योजना के तहत राशि स्वीकृत होने पर एक वर्ष के अंदर मकान का निर्माण कार्य पूरा करवाया जाएगा तथा गाडिया लुहारों से कलक्टर की ओर से यह शपथ पत्र लिया जाता है कि जो राशि सरकार दे रही है उसका उपयोग केवल मकान निर्माण के लिए ही करेगा।
इनका कहना…

इस संबंध में कोई सर्वे नहीं हुआ। आवेदन कम आने के पीछे जागरूकता की कमी व नि:शुल्क पट्टे नहीं मिलना दोनों ही कारण है। वैसे नागौर जिले में गाडि़या लुहार परिवार कम ही है। सरकार की योजना अच्छी है। इससे स्थायीत्व मिलेगा।
किशनाराम लोल,

उप निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, नागौर

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