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कर्नाटक में गजराजों की आबादी की गणना शुरू

यह अपनी तरह का पहला अभ्यास है। इस वर्ष मार्च में बंडीपुर टाइगर रिजर्व में आयोजित अंतर-राज्य समन्वय समिति की बैठक में समकालिक गणना का निर्णय लिया गया

बैंगलोरMay 24, 2024 / 08:11 pm

Nikhil Kumar

Project Tiger के वन संरक्षक रमेश कुमार ने बताया कि बंडीपुर और अन्य क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई, लेकिन अभ्यास प्रभावित नहीं हुआ

कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में तीन दिवसीय हाथियों की समकालिक गणना (Synchronous census of elephants) गुरुवार को शुरू हो गई। वन विभाग के सैकड़ों कर्मी कर्नाटक के 10 वन प्रभागों में तैनात किए गए हैं।
पहले दिन ब्लॉक सैंपलिंग या प्रत्यक्ष गणना की गई। प्रत्येक टीम को 5 वर्ग किमी के क्षेत्र के निगरानी और elephant देखे जाने का रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई। टीमें शाम 6 बजे तक लौट आईं। टीम ने कई हाथी देखे। संख्या आदि डेटा के विश्लेषण के बाद ही पता चलेगी और इसमें कुछ समय लगेगा।
Project Tiger के वन संरक्षक रमेश कुमार ने बताया कि बंडीपुर और अन्य क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई, लेकिन अभ्यास प्रभावित नहीं हुआ। संघर्ष को समझने सहित बेहतर समन्वय और भविष्य की योजना के लिए बेहतर नीतियां बनाना इस अभ्यास का उद्देश्य है। यह अपनी तरह का पहला अभ्यास है। इस वर्ष मार्च में बंडीपुर टाइगर रिजर्व में आयोजित अंतर-राज्य समन्वय समिति की बैठक में समकालिक गणना का निर्णय लिया गया।
कुमार ने कहा कि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे जंगलों में हाथियों की आबादी का एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे हाथियों की आबादी की गतिशीलता का पता चलेगा। मानव-हाथी और अन्य जंगली जानवरों से संबंधित संघर्ष को कम करने के लिए शमन उपायों की कल्पना करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि human-elephant conflict के केंद्र होने के बावजूद, हासन और चिकमगलूरु जैसे जिलों को इस अभ्यास से बाहर रखा गया है क्योंकि इन क्षेत्रों के जंगल पड़ोसी राज्यों के जंगलों से सटे नहीं हैं। हाथी गणना आमतौर पर हर पांच साल में एक बार पूरे वन क्षेत्र के लिए आयोजित की जाती है, लेकिन इस बार केवल दक्षिणी राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में गणना की जा रही है। इस अभियान के दौरान रेडियो कॉलर वाले हाथियों को भी ट्रैक किया जाएगा।
22 लोग, 25 हाथी की मौत

अधिकारियों के मुताबिक, इस साल जनवरी से मई के बीच Karnataka में हाथियों के कारण 22 लोगों की मौत हुई है जबकि चार अतिरिक्त मौतें अन्य जंगली जानवरों के कारण हुईं। इसी अवधि के दौरान राज्य में 25 हाथियों की भी मौत हुई। इनमें से 23 की मौत प्राकृतिक और दो की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है।

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