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सवाई माधोपुर

World Turtle Day: चम्बल घड़ियाल अभयारण्य में कछुआ पर्यटन पकड़ेगा रफ्तार, हैचरी बनने से ये मिलेगा लाभ

World Turtle Day 2024 : वन विभाग की ओर से पालीघाट और उसके आसपास चम्बल नदी में अब घड़ियालों की ही तर्ज पर कछुओं के संरक्षण को लेकर कार्य किया जा रहा है। वन विभाग ने नेशनल चंबल घड़ियाल सेंचुरी में 4 जगहों पर अंतस्थलीय हैचरियां बनाई हैं।

सवाई माधोपुरMay 23, 2024 / 10:24 am

Kirti Verma

World Turtle Day 2024 : वन विभाग की ओर से पालीघाट और उसके आसपास चम्बल नदी में अब घड़ियालों की ही तर्ज पर कछुओं के संरक्षण को लेकर कार्य किया जा रहा है। वन विभाग ने नेशनल चंबल घड़ियाल सेंचुरी में 4 जगहों पर अंतस्थलीय हैचरियां बनाई हैं। साथ ही इन्हें और विकसित करने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भी भिजवाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि राजस्थान में पहली बार कछुओं के संरक्षण के लिए हैचरी का निर्माण किया गया है। एक हैचरी मंडरायल रेंज के गुमश घाट और 3 हैचरियां राजघाट, शंकरपुर और अंडवापुरैनी घाट पर बनाई गई हैं। वहीं वन विभाग की ओर से अगले चरण में पालीघाट पर भी कछ़ुए की हैचरी तैयार करने पर विचार किया जा रहा है।
9 प्रकार की प्रजातियां मिलती है चंबल में
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य में कछुओं की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 4 प्रजातियां नरम कवच वाले कछुओं और 5 कठोर कवच वाले कछुओं की हैं। इनमें से स्थानीय चंबल नदी में 6 प्रकार की प्रजाति ही पाई जाती है। बटागुर और बटागुर डोंगोका प्रजाति अति संकटग्रस्त और संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल हैं। बटागुर मादा कछुआ मार्च माह में अंडे देती है। बटागुर कछुआ 11 से 30 और बटागुर डोंगोका एक बार में 20 से 35 अंडे देती है।
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पालीघाट के पास हैचरी बनने से मिलेगा लाभ
चंबल नदी क्षेत्र स्थित पालीघाट के पास हैचरी बनाए जाने से विलुप्त होती कछुओं की कई प्रजाति को संरक्षण मिलने से उनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। खास बात यह है कि कछुए पानी को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कीड़े-मकोड़ों, अपशिष्ट का भक्षण कर पानी को साफ करते हैं। पानी साफ रहने से खासकर मछलियों को लाभ होता है। गंदे पानी में कई जलीय जीव मर जाते हैं। इसके साथ ही हैचरी बनने से यहां पर्यटन में भी इजाफा होगा।
पालीघाट पर कछ़आ संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए चार हैचरी तैयारी की जा रही हैं। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल्रेगा।

  • किशनकुमार सांखला, रेंजर, पालीघाट।

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