गंध के संकेत से उड़ चले ‘लक्ष्य’ की ओर
शोधकर्ताओं के अनुसार तीन प्रमुख संकेत हैं जो मच्छरों (Mosquitoes) को आकर्षित करते हैं — आपकी सांस, आपका पसीना और आपकी त्वचा तापमान। नई स्टडी में हमें चौथा संकेत मिला लाल रंग जो न केवल आपके कपड़ों पर पाया जा सकता है, बल्कि हर किसी की त्वचा में भी इसके अंश होते हैं। प्रयोग में जब कमरे में कार्बन डाइऑक्साइड की एक फुहार छोड़ी गई तो मच्छर उन बिंदुओं की ओर उड़ गए जो लाल, नारंगी, काले या सियान थे लेकिन उन बिंदुओं से बचते रहे जो हरे, नीले और बैंगनी रंग के थे। मनुष्य कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिसे मच्छर सूंघ सकते हैं, और प्रयोग से पता चला कि गैस ने मच्छरों की आंखों को दृश्य स्पेक्ट्रम में कुछ तरंग दैर्ध्य पसंद करने के लिए प्रेरित किया।
गर्मियों में ही क्यों काटते हैं ज्यादा मच्छर
गर्मियां मच्छरों (Mosquitoes) के प्रजनन का मौसम होता है। मादा मच्छरों को बच्चे पैदा करने के लिए अधिक रक्त की आवश्यकता होती है। गर्मियों में लोगों के पसीने की गंध और कम कपड़े पहनना भी मच्छरों का काम आसान कर देता है। वहीं, जब मादा मच्छर त्वचा में अपना डंक घुसाकर खून चूसती है तो रोगाणुओं को एक व्यक्ति के रक्तप्रवाह से दूसरे में स्थानांतरित भी कर देती है। इससे मलेरिया समेत कई संक्रामक रोग होने की आशंका रहती है।
जलवायु परिवर्तन से बन रहे ‘ताकतवर’
मच्छर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से लाभान्वित होने वाली एकमात्र प्रजाति हो कहीं जा सकती है। ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा गर्म और उमस वाला मौसम उनके लिए आदर्श वातावरण तैयार करता है। इसके कारण, मच्छर बड़े हो रहे हैं और लंबे समय तक जीवित रह रहे हैं, जिससे संभावित घातक बीमारियों को पकड़ने और फैलाने की उनकी क्षमता बढ़ रही है। मच्छरों की विभिन्न प्रजातियां डेंगू बुखार, जीका वायरस, पीला बुखार, चिकनगुनिया वायरस, मलेरिया और वेस्ट नाइल वायरस सहित संक्रामक रोगों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इंसानी त्वचा चाहे किसी भी रंग की हो, मच्छरों की आंखों के लिए एक लाल-नारंगी ‘संकेत’ उत्सर्जित करती है और वे काटने के लिए दौड़ पड़ते हैं। इसे हरे, बेंगनी, नीले या सफेद रंग से ढक दीजिए और आप मच्छरों को गच्चा दे देंगे।