रामनगर इमिलिया जैसे गैंग से निपटने के लिए पुलिस कप्तान अनुराग वत्स ने ‘ऑपरेशन गैंगेस्टर’ अभियान चला रखा है। एसपी अनुराग वत्स ने बताया कि ‘रामनगर इमिलिया गैंग’ का सरगना जितेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना सिंह वर्तमान समय में आजमगढ़ जेल में बंद है। पुलिस उसके आपराधिक नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास कर रही है। किसी भी गैंगवार की आशंका के चलते पुलिस पूरी सतर्कता बरत रही है।
रामनगर इमिलिया का पूरा इलाका कभी काफी शान्त हुआ करता था। वर्चस्व को लेकर इस गांव में वर्ष 1982 में हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ। इसी साल पहली हत्या शिव बहादुर सिंह की हुई। इसके बाद पूर्व प्रधान दल सिंगार सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या के बाद जिलापंचायत सदस्य के बेटे इन्दर सिंह का गैंग आमने सामने आया। वर्ष 2007 में फौजी अजय प्रताप सिंह की गैंगवार में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इसके बाद पैरवी करने वाले फौजी के भाई अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह की भी हत्या कर दी गयी। पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, वर्चस्व की जंग में अब तक 24 हत्याएं हो चुकी हैं। पुलिस एनकाउंटर में दुर्दान्त अपराधी राजेन्द्र सिंह समेत 6 बदमाश ढेर हो चुके हैं।
इस गैंग का आतंक धीरे-धीरे पड़ोसी गांव सेमर घाट में भी फैल गया। इस गैंग के तीन सक्रिय सदस्य बीते 19 अगस्त की सुबह पड़ोसी गांव सेमरघाट के प्रधान जेपी निषाद के यहां रंगदारी मांगने पहुंच गए। ग्रामीणों और बदमाशों के बीच हुए विवाद में ग्रामीणों ने दो बदमाशों शारदा प्रताप सिंह तथा धनन्जय यादव को पीट-पीटकर मार डाला, जबकि तीसरा घायल अपराधी मोहित मिश्र किसी तरह जान बचाकर भागा। शारदा प्रताप सिंह की हत्या के बाद अब यह इलाका सुलग रहा है। एक बार फिर से यहां दहशत का माहौल है। पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस गैंगवार को देख चुके लोग कुछ भी बोलने से डर रहे हैं। आलम यह है कि कोई भी इस घटना के बारे में बताने को तैयार नहीं है।