जिले के पूर्वी छोर पर-बलिया राजमार्ग पर करीब 50 किमी दूर सूरापुर बाजार के दक्षिण में बिजेथुआ महावीरन धाम का यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। बिजेथुआ महाबीरन धाम पर प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां देश-विदेश से हनुमान भक्त माथा टेकने आते हैं। साथ ही हनुमानजी को उनका प्रिय मिष्ठान देशी घी का लड्डू समर्पित करते हैं। पर लॉकडाउन की वजह से यहां आज बंदिशें हैं।
मायावी राक्षस कालनेमि का वध :- रामायण व अन्य धार्मिक पुस्तकों-ग्रंथों में इस स्थल की चर्चा है। रामायण के अनुसार लंका में मेघनाद-लक्ष्मण युद्ध में मेघनाद के शक्तिबाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। लंका के राजवैद्य सुषेन ने बताया कि धौलागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने से लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। जब हनुमानजी संजीवनी लेने जा रहे थे तब इसी स्थान पर मायावी राक्षस कालनेमि का वध किया था। यहीं श्रापित एक मकड़ी का भी उद्धार किया था।
समस्त बाधाएं दूर होती:- जिस स्थान पर हनुमानजी ने मायावी राक्षस कालनेमि का वध किया था, उसी स्थान पर हनुमान जी का विशाल मंदिर बना है। जिस कुंड में हनुमानजी स्नान करने पहुंचे थे और जहां उन्हें कालनेमि राक्षस के बारे में भेद देने वाली मकड़ी मिली थी, वह स्थल व कुंड आज मकड़ीकुंड के नाम से मौजूद है। यहां आकर मनुष्य जो मांगते हैं वह मनौती पूरी होती है। मान्यता है कि गदाधारी हनुमानजी का नाम लेने से ही बड़ी से बड़ी बाधा दूर होती है और सफलता मिलती है। यहां समस्त बाधाएं दूर होती हैं। शनिवार व मंगलवार को हजारों दर्शनार्थी आते हैं और मत्था टेक कर हनुमानजी की कृपा प्राप्त करते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण हजारों साल के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब भक्त अपने आराध्य हनुमानजी का चरण दर्शन नहीं कर पाएंगे।
चीनी य़ात्री ने भेंट किया घण्टा:- त्रेतायुगीन इस मंदिर की शोहरत सुनकर हनुमानजी का दर्शन करने साल 1889 में चीनी यात्री टी तमांग आया था। उसने इस मंदिर में स्थापित हनुमानजी की चमत्कारी शक्ति से प्रभावित होकर मन्दिर के मुख्य गेट पर एक घण्टा बांधा था जो आज भी मंदिर के मुख्य गेट पर बंधा हुआ है।