डीपीएम गनपत नायक गत 29 जुलाई से लगातार बेस कैम्प के अलावा प्रभावित ग्रामों में दिन रात तैनात रहकर सेवा दे रहे थे। शनिवार को उन्हें टाइफाइड की शिकायत होने पर जिला चिकित्सालय भेजा गया है।
एक दर्जन गंभीर मरीज पहुंचे सूरजपुर
बिहारपुर क्षेत्र में मलेरिया पीडि़तों की संख्या बढ़ती जा रही है। पीडि़तों में गंभीर मलेरिया के 50 से अधिक मरीज जिला चिकित्सालय में पहले से ही भर्ती है। वहीं एक दर्जन गंभीर मलेरिया पीडि़त देर रात सूरजपुर पहुंचे। सूरजपुर में गंभीर मलेरिया से पीडि़त सभी मरीजों में खून की कमी ही है।
मलेरिया की रिसर्च टीम ने जिला प्रशासन से मांगा ५ वर्षों का रिकॉर्ड
मलेरिया के भीषण प्रकोप वाले चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के ग्रामों में मलेरिया व मच्छरों पर रिसर्च कर रही नेशनल इंस्टीटयूट आफ मलेरिया रिसर्च की चार सदस्यीय टीम ने जिले की मलेरिया नियंत्रक टीम से पिछले 5 वर्षों का रिकॉर्ड मांगा है। ताकि यहां के वातावरण और मौसम पर आधारित परिस्थितियों तथा मलेरिया व मलेरियाजनित मच्छरों के कारणों का अध्ययन कर सकें।
जिले में सक्रिय मलेरिया नियंत्रक टीम ने बताया कि एनआईएमआर की चार सदस्यीय टीम ने पिछले तीन दिनों में मलेरिया प्रभावित ग्राम कोल्हुआ, महुली, खोहिर, रामगढ़ एवं उमझर पहुंचकर विभिन्न पहलूओं का अध्ययन किया हैं, उन्होंने इस ग्रामों की मिट्टी, पानी और वनस्पतियों का संग्रहण किया है और यहां के मच्छरों की विभिन्न प्रजातियों को पकड़कर उस पर शोध करना शुरू कर दिया है।
रिसर्च टीम के प्रमुख डा राजीव रांझा ने बताया कि पच्छरों में डीडीटी का प्रभाव नगन्य है। विभिन्न कारणों से डीडीटी दवाईयों की नाशक क्षमता कम की गई है, फिर भी काफी कारगर है। डीडीटी का स्प्रे भले ही मच्छरों को नहीं मार पा रहा है, लेकिन मच्छरों की प्रजनन क्षमता और डंक के तेज प्रहार की क्षमता को कम कर देता है।
दो माह में आएगी रिसर्च की रिपोर्ट
चार सदस्यीय रिसर्च टीम के सदस्यों ने बातचीत के दौरान बताया कि मच्छरों की प्रजाति, मलेरिया का प्रकार, मच्छरों के पनपने के कारक, इलाज हेतु कारगर दवा, बचाव हेतु उपयुक्त दवाइयां, जरूरी सावधानियों के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण पहलूओं पर शोध किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट आने में लगभग दो से तीन माह लग सकते हंै।
मलेरिया व बुखार की मांगी रिपोर्ट
जिले के प्रभारी कलक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि रिसर्च टीम द्वारा जिले में मलेरिया की स्थिती पर आधारित पांच वर्ष के आंकड़ों की मांग की गई है। टीम ने यहां की ऐसी सम्पूर्ण जानकारी मांगी है जो मलेरिया व बुखार से संबंधित हो। पांच वर्षों में मलेरिया प्रभावित रहे ग्रामों व मरीजों की स्थिती एवं मौतों के आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है।
केन्द्रीय रिसर्च टीम ने ग्राम कोल्हुआ, महुली, उमझर, खोहिर और रामगढ़ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जानलेवा मलेरिया के प्रकोप वाले इन ग्रामों में पेयजल, खानपान, रहन सहन के अलावा अन्य सुविधाओं व यहां की परम्पराओं की जानकारी भी जिला प्रशासन से ली है।
सुबह-शाम पकड़ते हंै मच्छर
नेशनल इंस्टीटयूट आफ मलेरिया रिसर्च की चार सदस्यीय टीम चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में भ्रमण के दौरान सुबह और शाम को विभिन्न स्थानों से मच्छरों की प्रजातियां पकड़ते हैं। वहीं दिन में मलेरिया प्रभावित मरीजों से संबंधित जानकारी जुटाते हैं। वे बेस कैम्प में भर्ती मरीजों की दैनिक रिपोर्ट कवर कर रहे हैं। वहीं दवा से पहले और दवा के बाद मरीजों का खून लेकर रक्त पट्टिका तैयार कर रहे हैं।