गौरतलब है कि प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ग्राम पंचायत पंडोनगर में रुके थे और विशेष पिछड़ी समुदाय के पंडो जनजाति को गोद लेकर दत्तक पुत्र की उपाधि दी थी। प्रथम राष्ट्रपति जिस भवन में रुके थे, उसे राष्ट्रपति भवन की उपाधि दी गई है। यह देश का दूसरा राष्ट्रपति भवन के रूप में जाना जाता है।
पट्टा के लिए भटक रहे
ग्रामीणों ने बताया कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र (President adopted son) पंडो जनजाति के निवासरत अधिकांश लोगों को आज तक पट्टा नहीं मिल सका है। ग्रामीणों का आरोप यह भी है कि पट्टे के लिए वर्षों से कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की वजह से दत्तक पुत्रों में नाराजगी व्याप्त है।