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सूरत

बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन बंद होने से आदिवासियों की मुश्किलें बढ़ीं

पढ़ाई, नौकरी और व्यापार के लिए आने-जाने वाले सैकड़ों लोग परेशान

सूरतAug 13, 2019 / 10:10 pm

Sanjeev Kumar Singh

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बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन बंद होने से आदिवासियों की मुश्किलें बढ़ीं

सूरत.

पश्चिम रेलवे ने बिलीमोरा और वघई के बीच चलने वाली ऐतिहासिक नेरोगेज ट्रेन को एक बार फिर बंद कर दिया है। इससे लोगों में आक्रोश है। जेडआरयूसीसी सदस्य ने वलसाड स्टेशन के एआरएम, मुम्बई रेल मंडल के डीआरएम तथा सूरत स्टेशन निदेशक को ज्ञापन देकर ट्रेन फिर शुरू कराने की मांग की है।
डांग जिले से कीमती सागवान के लकडिय़ों को ढोने के लिए अंग्रेजों ने 1937 में वघई-बिलीमोरा नेरोगेज ट्रेन की शुरुआत की थी। यह ट्रेन गरीब और आदिवासी लोगों के लिए लाइफलाइन बन गई। वर्षों से डांग जिले के विभिन्न गांवों में रहने वाले आदिवासी, गरीब विद्यार्थी और मजदूर वर्ग के लोग इस ट्रेन में सफर कर रहे हैं। डांग जिले के अंदरूनी विस्तार से श्रमिक सूरत से वापी तक काम के सिलसिले में यात्रा करते हैं। इन लोगों के लिए यही नेरोगेज ट्रेन सरल और सस्ता माध्यम है।
इस ट्रेन के बंद होने से रोजाना सफर करने वाले आदिवासियों को परेशानी हो रही है। जेडआरयूसीसी सदस्य राकेश शाह ने इस ट्रेन को पुन: चालू करने की मांग की है। पश्चिम रेलवे ने 2018 में भी इस ट्रेन को बंद किया था। उस समय राकेश शाह रेल मंत्रालय की पैसेंजर सर्विस कमेटी के सदस्य थे। उन्होंने ट्रेन को शुरू कराने के लिए उच्च स्तरीय प्रयास किए, जिसके बाद पश्चिम रेलवे ने यह ट्रेन फिर से शुरू कर दी थी। अब फिर पश्चिम रेलवे ने बिना कोई घोषणा किए ट्रेन को बंद कर दिया है।
सूत्रों ने बताया कि पहले यह ट्रेन एक दिन में छह फेरे लगाती थी। बाद में इसके सिर्फ दो फेरे कर दिए गए। राकेश ने बताया कि इस ट्रेन को टॉय ट्रेन के रूप में चलाने की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो। ट्रेन को हिल स्टेशन सापुतारा तक बढ़ाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। इस टे्रन में चिखली, बिलीमोरा पढऩे जाने वाले विद्यार्थी और सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ छोटे व्यापारी यात्रा करते हैं।

चैत्र पूनम पर रहती है भारी भीड़

बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन 65 किमी का सफर करती है, जिसमें 64 लेवल क्रॉसिंग हैं। छोटे-बड़े ११४ नाले हंै। अंबिका नदी पर 150 मीटर लम्बा एकमात्र पुल है। चैत्र पूनम पर उनाई में मेला लगता है। इस मौके पर ट्रेन में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। जगह नहीं मिलने पर यात्री ट्रेन की छत पर चढक़र सफर करते हैं। इस ट्रेन का किराया कम होने के कारण आदिवासियों के लिए यात्रा किफायती रहती है।

कई स्टेशनों पर टिकट खिडक़ी नहीं

बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन ग्यारह स्टेशनों से गुजरती है। बिलीमोरा से शुरू होने के बाद यह गणदेवी, चिखली रोड, रानकुआ, धोलीकुआ, अनावल, उनाई, केवडी रोड, काला अंबा, डुंगरडा और वघई स्टेशन पर ठहरती है। बिलीमोरा-वघई और उनाई के अलावा किसी स्टेशन पर टिकट खिडक़ी नहीं है। बीच के स्टेशनों से ट्रेन में बैठने वाले यात्रियों को गार्ड से टिकट लेना होता है। किसी यात्री की ट्रेन छूट जाए तो वह रास्ते में हाथ उठाकर ट्रेन को रोक कर उसमें सवार हो जाता है।

65 किमी का किराया सिर्फ 15 रुपए

बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन 65 किमी की दूरी तय करती है। रेलवे ने बिलीमोरा से वघई का किराया सिर्फ 15 रुपए निर्धारित कर रखा है। ट्रेन का मासिक पास सौ रुपए में बनता है। सूत्रों ने बताया कि इस ऐतिहासिक ट्रेन को बिलीमोरा से काला आंबा के बीच शुरू किया गया था। बाद में वघई स्टेशन तक इसका विस्तार किया गया। इस नेरोगेज लाइन पर 23 घुमाव (कर्व) हैं। यहां इंजन और ट्रेन का पिछला डिब्बा आसानी से दिखाई देता है।
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