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सूरत

दिवाली की खरीद ने भी व्यापारियों को किया निराश

दिवाली पर खरीद अच्छी हो जाती तो मंदी से पीडि़त कपड़ा उद्योग को ऑक्सीजन मिल जाता

सूरतOct 18, 2018 / 08:33 pm

Pradeep Mishra

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दिवाली की खरीद ने भी व्यापारियों को किया निराश

सूरत
रमजान इद और रक्षाबंधन की खरीद कमजोर रहने के बाद स्थानीय कपड़ा व्यापारियों को दिवाली की खरीद पर बड़ी उम्मीद थी, लेकिन दिवाली की खरीद से भी व्यापारियों को राहत नहीं मिली। व्यापारियों को कहना है कि यदि दिवाली पर खरीद अच्छी हो जाती तो मंदी से पीडि़त कपड़ा उद्योग को ऑक्सीजन मिल जाता,लेकिन ऐसा नहीं होने से व्यापार अभी भी डामा-डोल परिस्थिति से गुजर रहा है।
स्थानीय कपड़ा उद्योग में जीएसटी लागू होने के बाद से छोटे और मध्यम व्यापारी व्यापार घट जाने की शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि कपड़ा व्यापार में यही परिस्थिति रही तो व्यापार बदलना पड़ेगा। व्यापारी हर त्यौहार और सिजन पर आस लगाकर बैठते हैं लेकिन उन्हें निराशा के अलावा कुछ नहीं मिलता। दो-तीन महीने पहले व्यापारियों को उम्मीद थी कि रमजान इद और रक्षाबंधन के कारण साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स दोनों में खरीद रहेगी, लेकिन उनकी अपेक्षा से 30 प्रतिशत व्यापार कम है। अब तक व्यापारियों को दिवाली की खरीद से ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद थी,लेकिन वह भी अब धू्मिल हो गई है। व्यापारियों का कहना है कि दिवाली के कारण व्यापार थोड़ा हुआ लेकिन जैसी उम्मीद थी उसका आधा भी नहीं हुआ। इसके अलावा अभी रिटेल मार्केट में खरीद नहीं होने के कारण डऱ लगा है कि यदि अन्य राज्यों में खरीद नहीं हुई तो रिटर्न गुड्स भी बढ़ जाएगा। उत्तर भारत के राज्यों में व्यापार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि यूपी, बिहार और दिल्ली की मंंडी में खरीद ठीक रही लेकिन अन्य मंडियों में खरीद कमजोर रहने से व्यापारियों को निराश होना पड़ा। फैन्सी और प्रिन्ट कपड़ो की मांग अच्छी रही। इसी तरह से दक्षिण भारत के राज्यों में भी खरीद मध्यम रही। केरल में आइ बाढ़ ने भी व्यापार को प्रभावित किया। व्यापारियों का कहना है कि इस बार यार्न की कीमत में भी आए उतार-चढाव के कारण व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। क्योंकि पहले यार्न की कीमत बढऩे के कारण जिन लोगों ने ज्यादा कीमत पर माल खरीदा था वह अब यार्न की कीमत घटने पर माल वापिस भेज रहे और सौदा रद्द करवा रहे हैं। फिलहाल दिवाली के अंतिम दौर की खरीद चल रही है, लेकिन व्यापारियों को दिवाली ने भी निराश किया अब वह आगामी दिनों की खरीद पर हैं।
पेमेन्ट की समस्या

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कपड़ा व्यापारियों के सामने इन दिनों सबसे बडी समस्या पेमेन्ट की है। जीएसटी आने के बाद व्यापारियों को लग रहा था, कि रिटर्न फाइल करने की व्यवस्था के कारण हर महीने पेमेन्ट मिल जाएगा। लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। अन्य राज्यों के व्यापारी छ महीने पहले पेमेन्ट नहीं कर रहे हैं। पहले 100-120 दिन के स्थान पर अब 200-225 दिन पर भी पेमेन्ट नहीं मिल रहा। एक ओर पेमेन्ट नहीं मिल रहा और दूसरी ओर मिल मालिक और एम्ब्ऱॉडरी सहित अन्य उद्यमियों को पेमेन्ट देना पड़ रहा है इससे व्यापारियों की हालत पतली हो गइ है।
अब लग्नसरा और पोंगल पर नजर
कपड़ा व्यापारियों की नजर अब नवंबर में लग्नसरा और जनवरी में पोंगल पर है। हालाकि नवंबर में कम तिथियां होने के कारण व्यापार कम ही रहेगा लेकिन व्यापारियों को उस पर उम्मीद टिकी है। इसके अलावा दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले पोंगल में भी साड़ी और ड्रेस की मांग रहती है। व्यापारियों को दिवाली के बाद उस पर खरीद रहने की उम्मीद है।
हल्की सी राहत, लेकिन निराशा
दिवाली पर खरीद हुई लेकिन व्यापारियों की उम्मीद जैसी थी वैसी नहीं रही। पिछले सभी त्यौहारों में खरीद कमजोर रही। व्यापारियों को दिवाली पर व्यापार चलने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन निराशा मिली है।
हरीश साहू, व्यापारी
छोटे व्यापारियों के लिए निराशा
पिछले कुछ समय से छोटे और मध्यम व्यापारियों के व्यापार में कमी आ रही है। दूसरी ओर क्रिएशन करने वालों का काम बढ़ा है। दिवाली के बाद व्यापारी अब पोंगल आदि की तैयारी में जुट जाएगें।
नरेन्द्र साबू, व्यापारी
थोड़ा और होता तो राहत मिलती
कपड़ा व्यापारियों को दिवाली पर बड़ी उम्मीद होती है। जीएसटी और मंदी से पीडि़त व्यापारियों को इस बार भी दिवाली पर बड़े खरीद की उम्मीद थी, लेकिन व्यापार कम रहा।
हरीश मंगवानी, व्यापारी

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