अंग्रेजों के काल में संत हरिहरण ने इस मंदिर को बनवाया था। उसके आसपास मकान व चाली भी बनवाई थी। इसमें कई परिवार 10 या 25 रुपए के किराए से रहते थे। वर्षों बीतने के साथ मंदिर का रखरखाव ठीक से नहीं हुआ। आज भी मंदिर में मिट्टी से बनी भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व माता जानकी की मूर्तियां सुरक्षित हैं। हालांकि मंदिर जर्जर हो चुका है। मंदिर के आसपास बने मकानों में जो किराएदार थे, वे अब मकान खाली नहीं कर रहे है। इससे मंदिर का जीर्णोंद्धार अटका हुआ है।
मंदिर को बने 100 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। मंदिर के संचालक इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं देते। पौराणिक मंदिर होने से यहां श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं। कुछ दिनों पूर्व मंदिर का एक हिस्सा टूटकर गिर गया था। उस समय कोई नहीं होने से जनहानि नहीं हुई। लेकिन भविष्य में कभी भी ऐसी घटना हो सकती है। जब तक मंदिर का जीर्णोंद्धार नहीं होता है, तब तक हम रोजाना रामधुन गाएंगे।
परेश वेकरिया, सदस्य, श्रीराम ग्रुप, जलालपोर
जलालपोर के तालाब समीप बना श्रीरामजी मंदिर महंत बलदेव दासजी ने उत्तर भारतीय समाज को चलाने को दिया था। मंदिर के आस-पास बने मकानों में कई किराएदार हैं, जो कब्जा नहीं दे रहे। इसलिए उनसे विवाद है। मंदिर में मरम्मत की नहीं बल्कि उसके नवनिर्माण की ही जरूरत है। हम नवसारी वासियों से अपील करते हैं कि वे मंदिर के जीर्णोद्धार में सहयोग करें।
परेश गुप्ता, ट्रस्टी, श्री रामजी मंदिर