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सूरत

जन-जन को वाकिफ करा रही हैं परमाणु ऊर्जा से

पहले परमाणु ऊर्जा की हरसंभव जानकारी संग्रहित की और फिर जन-जन में परमाणु ऊर्जा की जानकारी के अणु भरने के लिए जयपुर की डॉ. नीलम गोयल इन दिनों गुजरात के

सूरतOct 13, 2017 / 09:01 pm

मुकेश शर्मा

Knowing the people from atomic energy

Knowing the people from atomic energy

सूरत।पहले परमाणु ऊर्जा की हरसंभव जानकारी संग्रहित की और फिर जन-जन में परमाणु ऊर्जा की जानकारी के अणु भरने के लिए जयपुर की डॉ. नीलम गोयल इन दिनों गुजरात के भावनगर को अपना एपिक सेंटर बनाकर कार्य कर रही हंै। ‘भारत की परमाणु सहेली’ के रूप में देशभर में जाना-पहचाना नाम बन चुकी डॉ. गोयल बुधवार को सूरत आईं और राजस्थान पत्रिका के साथ अपने अनुभव बांटे।

सूरत के नजदीक काकरापार अणु ऊर्जा केंद्र की बैठक के सिलसिले में यहां पहुंचीं डॉ. नीलम गोयल ने बताया कि परमाणु ऊर्जा क्रांति वर्तमान युग में बेहद आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि इसके लाभ के बारे में देश की जनता को सही जानकारी मिले। जानकारी के अभाव में ही गुजरात के भावनगर में 5 हजार अरब से 6600 मेगावाट की छाया-मीठी विरदी अणु परियोजना हाथ से खिसक गई। डॉ. गोयल इसी स्थल को अपना कार्य क्षेत्र बनाकर भावनगर के जन-जन को स्वच्छ, सुरक्षित एवं समृद्ध भारत में विज्ञान तकनीकी, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा की दिशा में प्रेरित करने के लिए परमाणु ऊर्जा जागृति महामहोत्सव मना रही हंै।

छोड़़ी नौकरी

जयपुर में महेशनगर निवासी डॉ. नीलम गोयल की उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय में हुई। बाद में वहीं लेक्चरर के पद नियुक्त हुईं। उनका मन देश के आर्थिक विकास में परमाणु ऊर्जा की क्रांति की तरफ टिका था तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और परमाणु बिजलीघरों की कार्यप्रणाली का अध्ययन, इससे संबंधित क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और लोगों के कल्याण, स्वास्थ्य पर प्रभाव पर पीएचडी हासिल की। डॉ. नीलम इस विषय पर पीएचडी करने वाली देश की पहली
महिला हैं।

देश के विकास का आधार है विद्युत


सूरत. परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने गुरुवार को नाना वराछा की मीठी बा स्कूल के बच्चों को बताया कि देश के विकास का मुख्य आधार बिजली है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां बिना बिजली जीवन की कल्पना की जाए। स्कूल में परमाणु ऊर्जा पर आयोजित सेमिनार में बच्चों को अन्य कई जानकारियां भी दी गईं। काकरापार परमाणु ऊर्जा केंद्र के सिलसिले में सूरत आईं डॉ. नीलम गोयल ने बच्चों को बताया कि देश में परमाणु ऊर्जा से केवल 3 प्रतिशत बिजली बनाई जाती है, जबकि देश में इसका विपुल भंडार है। 1969 से परमाणु ऊर्जा से बिजली बन रही है। फिर भी भारत इस मामले में बहुत पीछे है। इसकी अहम वजह आम जन में परमाणु ऊर्जा के प्रति जानकारी का अभाव है। पूरे विश्व में परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाते हुए 14,500 रिएक्टर वर्ष हो चुके हैं, जबकि भारत में 365 रिएक्टर वर्ष ही हुए हैं। सेमिनार में स्कूल प्राचार्य अमर पासवान, ट्रस्टी वल्लभ मनिया आदि मौजूद थे।

सात साल से इस क्षेत्र में सक्रिय

सरकारी नौकरी छोड़ परमाणु ऊर्जा विषय पर पीएचडी और पोस्ट डॉक्टरेट करने के बाद भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (मुंबई) ने डॉ. नीलम गोयल को देश की परमाणु सहेली का नाम दिया। वह सात साल से इस दिशा में लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।

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