नई दिल्ली। पेशेवर टेनिस खिलाड़ी विष्णु वर्धन दो अक्टूबर से शुरू हो रहे फेनेस्टा ओपन राष्ट्रीय टेनिस चैम्पियनशिप में दिल्ली लॉन टेनिस संघ कॉम्पलेक्स पर पुरुष एकल का अपना खिताब बचाने उतरेंगे। विष्णु ने घर और विदेशों में राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। वह भारत की डेविस कप टीम का हिस्सा रहे हैं। साथ ही वह एशियन इंडोर गेम्स में भी भारत के लिए खेले हैं।
इस टूर्नामेंट में उनकी कोशिश अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की होगी। उनके अलावा इस टूर्नामेंट में एसके मुकुंद, सिद्धार्थ रावत और वीएम रंजीत भी हिस्सा ले रहे हैं। टूर्नामेंट के विजेता को 3,00,000 रुपये की ईनामी राशि दी जाएगी। वहीं उपविजेता को 2,00,000 रुपये ईनाम के तौर पर दिए जाएंगे।
वहीं महिला एकल में पिछले साल की विजेता रिया भाटिया अपना खिताब बचाने उतरेंगी। खिताब बचाने के लिए उनको रुतुजा भोंसले, ध्रूती वेणुगोपाल, प्रंजला यदलापल्ली, जील देसाई और इति मेहता की चुनौती का सामना करना होगा।
चार बार इस टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर चुकीं प्रेमा भांबरी से रिया को सबसे कड़ी चुनौती मिलेगी। दो सप्ताह तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में पहले सप्ताह पुरुष, महिला और अंडर-18 के मैच खेले जाएंगे। इसके बाद अंडर-14 और अंडर-16 बालक, बालिकाओं के मैचों का आयोजन किया जाएगा।
विष्णु वर्धन प्रेजिडेंट्स कप भी जीत चुके हैं – भारतीय टेनिस खिलाड़ी विष्णु वर्धन ने जापान के अपने जोड़ीदार तोशिहिदे मातसुई के साथ मिलकर चैलेंजर स्तर का सत्र का अपना दूसरा खिताब जीत चुके हैं ।
विष्णु और मातसुई की जोड़ी ने कजाखिस्तान के अस्ताना में प्रेजिडेंट्स कप के कड़े फाइनल मुकाबले में रूस केयेवगेनी कालरेवस्की और येवगेनी तुर्नेव की जोड़ी को 7-6, 6-7, 10-7 से हराया। विष्णु ने पिछले महीने हमवतन एन श्रीराम बालाजी के साथ मिलकर फरगाना में खिताब जीता था।
विश्व के 179वें नंबर के खिलाड़ी विष्णु मौजूदा सत्र में छह आइटीएफ फ्यूचर्स डबल्स खिताब भी जीत चुके हैं। वर्धन ने जीत के तुरंत बाद कहा था कि, ‘मैं और मातसुई पिछले सप्ताह आइटीएफ इवेंट के पहले राउंड में हार गए थे, लेकिन हमने अपने स्तर को बनाए रखा और एक साथ मिलकर कड़ी मेहनत की।’ इस बीच, अनुभवी पेस और उनके जोड़ीदार सैम ग्रोथ को अमेरिका के न्यूपोर्ट में एटीपी 250 हाल ऑफ फेम ओपन के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के ऐसाम उल हक कुरैशी और अमेरिका के राजीव राम के हाथों 6-4, 6-7, 9-11 से शिकस्त का सामना करना पड़ा।